सीट बंटवारे के बाद उपेंद्र कुशवाहा का छलका दर्द

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां तेज़ रफ़्तार पर हैं।
एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में सीट बंटवारे पर चल रही चर्चाओं का अंत आखिरकार रविवार देर रात हो गया।
लेकिन इस समझौते के बाद राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा निराश नज़र आए।

उन्हें उम्मीद से बहुत कम सीटें मिलीं — और इसी वजह से उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखकर अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से माफी मांगी।

“आपके मन के मुताबिक सीटें नहीं मिल पाईं, क्षमा चाहता हूं”

सीट बंटवारे के बाद कुशवाहा ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा —

“आप सभी से क्षमा चाहता हूं। आपके मन के मुताबिक सीटों की संख्या तय नहीं हो पाई।
मुझे पता है कि इस फैसले से हजारों कार्यकर्ता और समर्थक दुखी होंगे।
बहुतों के घर आज खाना नहीं बना होगा।
लेकिन मुझे भरोसा है कि आप हमारी विवशता और सीमाओं को जरूर समझेंगे।”

उन्होंने आगे कहा —

“हर फैसले के पीछे कुछ वजहें होती हैं — कुछ दिखती हैं, कुछ नहीं।
मुझे मालूम है कि अंदर की परिस्थितियों से अनजान रहकर कई लोग मुझसे गुस्सा होंगे।
लेकिन मैं सिर्फ इतना कहूंगा — थोड़ा समय दीजिए, फिर खुद समझ जाएंगे कि यह फैसला सही था या नहीं।”

उनका यह पोस्ट रातों-रात वायरल हो गया।
समर्थकों ने लिखा — “नेता जी, हम आपके साथ हैं, चाहे सीटें कम मिलें या ज़्यादा।”

एनडीए में सीट बंटवारा इस तरह तय हुआ

बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर इस बार एनडीए ने सीटों का बंटवारा इस प्रकार किया है —

पार्टीसीटें
जेडीयू (नीतीश कुमार)101
बीजेपी (BJP)101
लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग पासवान)29
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (जीतन राम मांझी)6
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा)6

कुशवाहा की पार्टी को सिर्फ 6 सीटें मिलीं, जबकि उनके समर्थक कम से कम 10–12 सीटों की उम्मीद कर रहे थे।

पिछले चुनावों की झलक

साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में —

  • जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
  • बीजेपी ने 110 सीटों पर।
  • हम पार्टी को 7 सीटें और वीआईपी को 11 सीटें दी गई थीं।

तब एनडीए को कुल 125 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट गया था।

इस बार का समीकरण अलग है — क्योंकि LJP और RLM की एंट्री ने राजनीतिक गणित को बदल दिया है।

“धैर्य रखें, राजनीति में समय सब कुछ दिखा देता है”

उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पोस्ट में कार्यकर्ताओं से अपील की —

“मुझे पता है कि कई साथियों को इस फैसले से निराशा हुई है।
लेकिन राजनीति में धैर्य और समझ जरूरी है।
आने वाला समय खुद बताएगा कि यह फैसला क्यों लिया गया।”

उन्होंने आगे लिखा —

“आपका गुस्सा और दुख मुझे समझ आता है,
लेकिन मुझे यकीन है कि आप सब मेरे साथ हैं।
हमारा लक्ष्य बिहार का विकास और न्याय की राजनीति है — और इसके लिए हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा।”

मायूसी के बीच उम्मीद

कुशवाहा के इस बयान के बाद उनके समर्थकों में मायूसी तो दिखी,
लेकिन अधिकांश लोग अब भी उनके साथ खड़े हैं।
उनका कहना है कि नेता जी की ईमानदारी और संघर्ष ही RLM की पहचान है।

बिहार की राजनीति में यह बयान चर्चा का विषय बना हुआ है।
एनडीए के भीतर भी यह सवाल उठ रहा है कि क्या सीट बंटवारे का असर चुनावी नतीजों पर पड़ेगा?

कम सीटें मिलने के बावजूद कुशवाहा ने संयम और एकता की अपील की है।
अब सबकी नज़रें इस पर हैं कि RLM आगामी चुनाव में कितनी मज़बूती से अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है।

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