सतना जिला अस्पताल — जिंदा बच्चे को बताया मृत

मध्य प्रदेश के सतना जिले से सामने आई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे राज्य को हिला दिया है। इस मामले ने सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक गर्भवती महिला को ज़िला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने बिना पूरी जांच के, पेट में पल रहे जिंदा बच्चे को मृत घोषित कर दिया।

घटना की पूरी जानकारी

  • महिला को प्रसव पीड़ा के बाद परिजन सतना जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।
  • डॉक्टरों ने सिर्फ सामान्य जांच के आधार पर कहा: “बच्चा अब जिंदा नहीं है।”
  • बिना किसी तकनीकी जांच (जैसे अल्ट्रासाउंड) के ही इलाज बंद कर दिया गया।

परिजनों ने दिखाई सूझबूझ

  • सरकारी डॉक्टरों की बात मानने की बजाय, परिजनों ने महिला को निजी अस्पताल ले जाने का फैसला किया।
  • निजी अस्पताल में दोबारा जांच की गई, जिसमें सामने आया:
    • बच्चा पूरी तरह से जीवित और स्वस्थ है।
    • कुछ समय बाद महिला ने सुरक्षित रूप से एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।

परिजनों की सतर्कता से एक मासूम की जान बच गई।

माँ और बच्चा दोनों सुरक्षित

  • इस वक्त माँ और नवजात दोनों निजी अस्पताल में सुरक्षित हैं।
  • डॉक्टरों की निगरानी में उनकी देखभाल की जा रही है।

यदि परिजन सिर्फ सरकारी डॉक्टरों की बात मान लेते, तो एक ज़िंदगी खो सकती थी।

लोगों में नाराज़गी, कार्रवाई की माँग

  • घटना सामने आते ही सोशल मीडिया और स्थानीय जनता में आक्रोश फैल गया।
  • लोग जिला अस्पताल की लापरवाही पर कड़ी नाराज़गी जता रहे हैं।

राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं:

  • स्वास्थ्य विभाग ने ज़िम्मेदार मेडिकल स्टाफ की जांच शुरू कर दी है।
  • जिन पर लापरवाही साबित होगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या अब सरकारी अस्पतालों पर भरोसा किया जा सकता है?

इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है:

क्या सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाना आज भी सुरक्षित है?

  • जो लोग निजी अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकते, क्या उन्हें इसी डर के साथ जीना होगा?
  • सिर्फ मुफ्त इलाज नहीं, सही इलाज जरूरी है।
  • जनता को अब सजग और जागरूक होना होगा।

सीख: हमेशा लें दूसरा ओपिनियन

सतना की यह घटना बताती है कि मेडिकल फैसलों पर आँख बंद कर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।

जब भी संदेह हो, दूसरी राय (Second Opinion) लेना ज़रूरी है।
एक गलत फैसला किसी की ज़िंदगी पर भारी पड़ सकता है।

निष्कर्ष: अब सिर्फ जांच नहीं, चाहिए ठोस एक्शन

सतना की यह घटना मेडिकल सिस्टम के लिए एक चेतावनी है।
सरकार को चाहिए कि:

  • सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, जवाबदेही तय करे।
  • अस्पतालों में सख्त प्रोटोकॉल और निगरानी लागू हो।
  • आम जनता को मेडिकल मामलों में जानकारी और अधिकार दिए जाएं।

Source- https://hindi.news18.com/news/madhya-pradesh/satna-hospital-failure-fetus-declared-dead-baby-found-alive-in-private-hospital-madhya-pradesh-medical-negligence-ws-kl-9407449.html

This Article Is Written By Pragya Rai, Intern At News World India

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