मतदाता सूची में पारदर्शिता की ओर बड़ा कदम

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने देशभर में मतदाता सूची को सही, पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का दूसरा चरण शुरू करने का ऐलान किया है।

इस प्रक्रिया के तहत करोड़ों मतदाताओं की जानकारी की जांच और सत्यापन किया जाएगा ताकि किसी भी गलत या दोहराव वाले नाम को मतदाता सूची में जगह न मिले।

मुख्य चुनाव आयुक्त का बयान

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि

“SIR के दूसरे चरण में करीब 51 करोड़ मतदाताओं के नाम, पते और अन्य विवरण की पुष्टि की जाएगी।”

उन्होंने कहा कि यह कदम देश की चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है।

किन राज्यों में चलेगा यह अभियान

SIR का दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं —

  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • छत्तीसगढ़
  • गुजरात
  • गोवा
  • केरल
  • तमिलनाडु
  • पश्चिम बंगाल
  • पुडुचेरी
  • अंडमान-निकोबार
  • लक्षद्वीप

बिहार में यह प्रक्रिया पहले ही पूरी की जा चुकी है, अब बाकी राज्यों में इसे लागू किया जा रहा है।

अभियान का टाइमलाइन

तारीखप्रक्रिया
28 अक्टूबर – 3 नवंबर 2025प्रशिक्षण और तैयारी
4 नवंबर – 4 दिसंबर 2025घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन
9 दिसंबर 2025ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होगी
9 दिसंबर 2025 – 8 जनवरी 2026दावे और आपत्तियों का दौर
9 दिसंबर 2025 – 31 जनवरी 2026सुनवाई और सत्यापन की प्रक्रिया
7 फरवरी 2026अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित

हर घर जाएंगे BLO, तीन बार विजिट अनिवार्य

इस अभियान में

  • 5.33 लाख बूथ लेवल ऑफिसर (BLO)
  • 7.64 लाख बूथ एजेंट (BLA)
    भाग लेंगे।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि हर BLO को निर्देश दिया गया है कि —

“वे हर घर कम से कम तीन बार विजिट करें ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति सूची से न छूटे।”

वे घर-घर जाकर Form-6 और Declaration Form भरवाने में मदद करेंगे और दस्तावेज़ संबंधित कार्यालय में जमा करेंगे।

अब नहीं दिखाने होंगे दस्तावेज़

इस बार मतदाताओं को तत्काल किसी दस्तावेज़ को दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी।
यदि मतदाता का नाम पुरानी और नई सूची दोनों में पाया जाता है, तो कोई अतिरिक्त प्रमाण की जरूरत नहीं होगी।

केवल उन लोगों को पहचान पत्र दिखाना होगा —

  • जिनका नाम सूची में नहीं है, या
  • जिनके माता-पिता का नाम सूची में मेल नहीं खाता।

आयोग के अनुसार, 60–70% मतदाताओं की पहचान पहले से सत्यापित हो चुकी है।
बाकी लोग आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपना नाम जांच सकते हैं।

मतदान केंद्रों में भी बड़ा बदलाव

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि अब किसी भी मतदान केंद्र पर

1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे।

इससे मतदान केंद्रों पर भीड़ कम होगी और मतदान प्रक्रिया अधिक सहज बनेगी।

साथ ही, बुजुर्गों, दिव्यांगों और बीमार मतदाताओं की मदद के लिए वॉलंटियर्स तैनात किए जाएंगे, ताकि उन्हें फॉर्म भरने और दस्तावेज जमा करने में सहायता मिल सके।

संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार प्रक्रिया

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यह पूरी प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार की जा रही है —

जिसमें कहा गया है कि भारत का नागरिक होना ही मतदाता बनने की पहली शर्त है।

इस सत्यापन के दौरान उन लोगों के नाम हटाए जाएंगे —

  • जो अब भारत के नागरिक नहीं हैं,
  • जिनका निधन हो चुका है, या
  • जो स्थायी रूप से किसी अन्य स्थान पर चले गए हैं।

क्या जरूरी होगा आधार कार्ड?

आयोग ने स्पष्ट किया कि —

आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है।

इसे केवल पहचान की पुष्टि (identity verification) के लिए उपयोग किया जा सकता है ताकि एक ही व्यक्ति का नाम दो जगह दर्ज न हो

निष्कर्ष — लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम

चुनाव आयोग का यह अभियान देश के लोकतांत्रिक ढांचे को और मजबूत बनाएगा।
इससे मतदाता सूची में केवल सही, जीवित और पात्र मतदाताओं के नाम रहेंगे, जिससे चुनाव प्रक्रिया और अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनेगी।

आयोग ने कहा —

“जनता का सहयोग ही इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत है।
हर नागरिक को अपने नाम और विवरण की पुष्टि करनी चाहिए ताकि वह गर्व से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके।”

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