बिहार में मतदाता सूची संशोधन कोलेकरबंद, राहुल-तेजस्वीकीअगुवाईमेंविरोधप्रदर्शन।

राष्ट्रीय जनता दल कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर उतरे और दुकानें-बाज़ार बंद कराने की कोशिश की। चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के विरोध में विपक्षी INDIA गठबंधन के नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने बुधवार को पटना में चुनाव आयोग कार्यालय तक रैली निकाली। राज्यव्यापी बंद और प्रदर्शन के बीच यह विरोध मतदाता अधिकारों के हनन की आशंका को लेकर किया गया।
पटना में बुधवार को विपक्षी INDIA गठबंधन के नेताओं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में निकाले गए मार्च को उस समय पुलिस ने रोकने की कोशिश की जब जुलूस मंगलबाग रोड की ओर बढ़ रहा था, जहां चुनाव आयोग का कार्यालय स्थित है। प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों राजद कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर उतर आए और बंद को सफल बनाने के लिए दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद करवाने की कोशिश की। पूरे शहर में बंद का व्यापक असर देखा गया और कई स्थानों पर प्रदर्शनकारी सड़कों पर बैठ गए, जिससे यातायात बाधित हुआ। पुलिस ने हालात पर नियंत्रण पाने के लिए कई जगहों पर बैरिकेडिंग की और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए। राजद और INDIA गठबंधन का आरोप है कि बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण के बहाने बड़े पैमाने पर नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे कमजोर वर्गों को उनके मताधिकार से वंचित किया जा रहा है।
पटना के मनेर में राजद और मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं ने टायर जलाकर सड़कों को जाम कर दिया। राज्यभर में श्रमजीवी एक्सप्रेस और बिभूति एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों को रोका गया। मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ बिहार के अन्य हिस्सों में भी जुलूस निकाले गए, जिनमें प्रदर्शनकारियों ने पीएम मोदी, बीजेपी और चुनाव आयोग के खिलाफ नारेबाज़ी की। दरभंगा में राजद कार्यकर्ताओं ने अर्धनग्न होकर टायर जलाए और सड़कों को घेरा। वैशाली में एनएच-22 को भैंसों की मदद से अवरुद्ध किया गया। नवादा के राजाौली में इंडिया गठबंधन समर्थकों ने एनएच-20 पर ट्रैफिक रोका। सीवान के जेपी चौक पर विधायक अमरजीत कुशवाहा की अगुवाई में राजद और भाकपा कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम किया। प्रदेशभर में व्यवसायिक प्रतिष्ठान, स्कूल-कॉलेज और बैंक भी बंद रहे।
विपक्षी दलों ने चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण शुरू करने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यदि यह प्रक्रिया पहले की जाती, तो जनता को दस्तावेज़ों के लिए भटकना न पड़ता। पहले चुनाव आयोग आधार और राशन कार्ड को पर्याप्त मानता था, लेकिन अब जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के दस्तावेज़ ज़रूरी कर दिए गए हैं। विपक्ष का आरोप है कि इससे विशेष रूप से गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है, क्योंकि उनके पास अक्सर ये दस्तावेज़ नहीं होते।
( This article is written by Shlokk Devgan, Intern at News World India. )

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