पीएम मोदी का बिहार दौरा और कांग्रेस के सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे।
इस दौरान वह समस्तीपुर के कर्पूरी गांव में पहुंचकर भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।

लेकिन इस यात्रा से पहले ही, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर तीखे सवालों की बौछार कर दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा के वैचारिक पूर्ववर्तियों ने कभी कर्पूरी ठाकुर के खिलाफ अपमानजनक नारे लगाए थे, तो क्या अब प्रधानमंत्री मोदी इसके लिए माफी मांगेंगे?

पीएम मोदी का बिहार दौरा — क्या कहा प्रधानमंत्री ने?

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर अपने दौरे की जानकारी देते हुए लिखा —

“आज मुझे समस्तीपुर में भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
फिर लगभग 12:15 बजे मैं वहां अपने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करूंगा।
इसके बाद 2 बजे बेगूसराय में एक जनसभा को संबोधित करूंगा।
बिहार के लोगों का उत्साह और उमंग बताता है कि भाजपा-एनडीए इस चुनाव में फिर शानदार जीत हासिल करने जा रही है।”

जयराम रमेश के तीन तीखे सवाल

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर तीन बड़े सवाल उठाए —

सवाल 1: क्या आरएसएस ने कर्पूरी ठाकुर का विरोध नहीं किया था?

जयराम रमेश ने कहा —

“कर्पूरी ठाकुर ने 1978 में पिछड़े वर्गों को 26% आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की ऐतिहासिक नींव रखी थी।
लेकिन क्या यह सच नहीं कि आपकी पार्टी के वैचारिक पूर्ववर्ती जनसंघ और आरएसएस ने उनकी आरक्षण नीति का विरोध किया था?
क्या उन्होंने सड़कों पर उतरकर कर्पूरी ठाकुर के खिलाफ अपमानजनक और घृणास्पद नारे नहीं लगाए थे?
और क्या जनसंघ व आरएसएस नेताओं ने उनकी सरकार गिराने में भूमिका नहीं निभाई थी?
क्या प्रधानमंत्री अब उस ऐतिहासिक गलती के लिए माफी मांगेंगे?”

सवाल 2: जाति जनगणना पर सरकार की चुप्पी क्यों?

जयराम रमेश ने दूसरा सवाल उठाते हुए कहा —

“क्या आपने कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग को ‘शहरी नक्सली एजेंडा’ बताकर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का अपमान नहीं किया?
क्या आपकी सरकार ने संसद (20 जुलाई 2021) और सुप्रीम कोर्ट (21 सितंबर 2021) में जाति जनगणना से इनकार नहीं किया?
क्या आपने लाखों वंचित वर्गों की इस जायज मांग को जानबूझकर नजरअंदाज नहीं किया?”

सवाल 3: बिहार के 65% आरक्षण को 9वीं अनुसूची में क्यों नहीं जोड़ा?

कांग्रेस नेता का तीसरा सवाल था —

“बिहार में जातिगत सर्वेक्षण के बाद विधानसभा ने पिछड़े, अति पिछड़े, दलित और आदिवासी समुदायों के लिए 65% आरक्षण तय किया था।
तो आपकी सरकार ने इसे 9वीं अनुसूची में क्यों नहीं शामिल किया?
जैसे 1994 में कांग्रेस सरकार ने तमिलनाडु के 69% आरक्षण की रक्षा की थी, वैसे ही बिहार के आरक्षण को क्यों नहीं सुरक्षित किया गया?”

निष्कर्ष

कर्पूरी ठाकुर के सम्मान से शुरू हुआ यह कार्यक्रम अब सियासी बहस का केंद्र बन गया है।
एक ओर प्रधानमंत्री मोदी बिहार के मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं,
तो दूसरी ओर कांग्रेस इस मौके पर सामाजिक न्याय और आरक्षण के मुद्दे को फिर से चुनावी केंद्र में ला रही है।

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