दिल्ली में सहकारी बैंकों को नई दिशा देने की तैयारी

दिल्ली सरकार के सहकारिता मंत्री रविन्द्र इंद्राज सिंह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को नई ऊर्जा और दिशा दी जाएगी। उन्होंने घोषणा की कि सहकारी बैंकों में विश्वास और सहभागिता का मजबूत उदाहरण स्थापित करने के लिए मंत्री सहित सभी अधिकारी और कर्मचारी सहकारी बैंकों में खाते खोलेंगे।

मंत्री ने अगले महीने होने वाले सहकारिता सप्ताह से जुड़े कार्यक्रमों की भी जानकारी दी।

वार्षिक बैठक में मंत्री का संदेश

रविन्द्र इंद्राज रविवार को दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक की वार्षिक आम बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
इस अवसर पर उन्होंने बैंक के अध्यक्ष, निदेशक मंडल और सदस्यों को बधाई दी और कहा कि सहकारिता केवल आर्थिक ढांचा नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सहभागिता की जीवनरेखा है।

विकसित दिल्ली का संकल्प

सहकारिता मंत्री ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार का उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत और विकसित दिल्ली बनाना है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने हाल के महीनों में दिल्ली के 12 प्रमुख सहकारी बैंकों के अध्यक्षों और निदेशकों के साथ बैठकें की हैं, जिसमें उपभोक्ता लाभ और सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

सहकारी बैंकों की नई शाखाएं

मंत्री ने कहा कि आम नागरिकों को बेहतर स्थानीय वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए दिल्ली के विभिन्न इलाकों में नई शाखाएं खोली जाएंगी, खासकर ग्रामीण और पुनर्वास कॉलोनियों में।

सहकारिता सप्ताह:

  • तारीख: 14 से 20 नवंबर
  • आयोजन: दिल्ली में अब तक का सबसे बड़ा रक्तदान शिविर
  • उद्देश्य: सहकारिता के माध्यम से समृद्धि और सामाजिक सहभागिता बढ़ाना

समाज के हर वर्ग को अवसर

रविन्द्र इंद्राज ने कहा कि सहकारिता का मतलब केवल संस्था चलाना नहीं है।

“हमारा उद्देश्य है समाज के हर वर्ग को अवसर प्रदान करना।”

सभी बैंक, हाउसिंग सोसाइटी, क्रेडिट यूनियन और स्वयं सहायता समूह इस सप्ताह में सक्रिय भागीदारी करेंगे।

शहीद भगत सिंह की भव्य प्रतिमा

मंत्री ने घोषणा की कि अगले साल आरसीएस कार्यालय के ऐतिहासिक परिसर में शहीद भगत सिंह की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी यदि सहकारिता की भावना को देशभक्ति और सेवा के आदर्शों के साथ जोड़ा जाए।

नए सहकारी स्टोर और रोजगार सृजन

दिल्ली में नई सहकारी स्टोर खोलने की योजना है, जहां स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए जैविक उत्पाद और अन्य सामान बेचा जाएगा।
इन स्टोर्स से स्थानीय उत्पादकों और महिलाओं को सीधा बाजार मिलेगा, जिससे रोजगार और आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

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