दिल्ली में प्रदूषण,क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश

दिवाली के बाद से देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है और राहत के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
इससे आम लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी समस्याएं हो रही हैं।
इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 29 अक्टूबर को “क्लाउड सीडिंग” यानी कृत्रिम बारिश कराने का फैसला लिया है।
अगर मौसम अनुकूल रहा, तो आज भी क्लाउड सीडिंग की जा सकती है।
क्या कहा पर्यावरण मंत्री ने?
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया:
“अगर दृश्यता 5000 मीटर तक पहुंच जाती है — जो अभी लगभग 2000 मीटर है — तो हमारा विमान आज कानपुर से उड़ान भरेगा।
यदि दृश्यता में सुधार हुआ, तो आज ही क्लाउड सीडिंग की जाएगी।”
इस प्रक्रिया के ज़रिए राजधानी में कृत्रिम वर्षा कराई जाएगी, जिससे हवा में मौजूद हानिकारक कण नीचे बैठ जाएंगे और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
यह दिल्ली में इस तरह का पहला प्रयोग होगा।
अगले 24 से 48 घंटों में हो सकती है बारिश
मौसम विभाग ने पहले ही 28, 29 और 30 अक्टूबर को बादल छाए रहने की संभावना जताई थी।
इसी वजह से आज कृत्रिम बारिश का प्रयास करने का निर्णय लिया गया है।
- यह परियोजना आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में चल रही है।
- दिल्ली सरकार कई स्थानों पर क्लाउड सीडिंग के परीक्षण कर रही है।
- अगर मौसम साथ देता है, तो अगले 24 से 48 घंटों में दिल्ली में पहली कृत्रिम बारिश हो सकती है।
इसका मुख्य उद्देश्य है —
दिल्ली की हवा में मौजूद कण प्रदूषण (Particulate Matter) को कम करना।
क्या है क्लाउड सीडिंग और कैसे काम करती है?
क्लाउड सीडिंग का मतलब है — कृत्रिम तरीके से बारिश करवाना।
यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो सीमित समय तक असर दिखाती है और इसमें उच्च तकनीक व लागत लगती है।
कैसे होती है क्लाउड सीडिंग?
- विशेष विमानों के ज़रिए बादलों में रसायन (जैसे सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड आदि) छोड़े जाते हैं।
- ये रसायन बादलों में पानी की बूंदों को आकर्षित करते हैं।
- परिणामस्वरूप, छोटे-छोटे बूंदें मिलकर बारिश के रूप में गिरती हैं।
दिल्ली सरकार ने इस परियोजना के लिए
₹3.21 करोड़ की राशि 5 परीक्षणों हेतु स्वीकृत की है।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो —
- दिल्लीवासियों को वायु प्रदूषण से अस्थायी राहत मिलेगी,
- और मौसम में थोड़ी ताजगी महसूस होगी।
लेकिन वे यह भी चेतावनी देते हैं कि —
“क्लाउड सीडिंग कोई स्थायी समाधान नहीं है।
यह कुछ दिनों के लिए प्रदूषण घटा सकती है, पर असली समाधान लोगों की जीवनशैली में बदलाव से आएगा।”
नागरिकों के लिए सुझाव
विशेषज्ञों ने लोगों से यह अपील भी की है कि:
- निजी वाहनों का कम उपयोग करें
- पटाखों का सीमित उपयोग करें
- पेड़-पौधे लगाएं और हरी जगहों को बढ़ावा दें
ऐसे कदमों से दिल्ली का वायुमंडल लंबे समय तक स्वच्छ और स्वास्थ्यप्रद बना रहेगा।
निष्कर्ष
क्लाउड सीडिंग दिल्ली के प्रदूषण पर एक वैज्ञानिक प्रयोग है —
जो यदि सफल हुआ, तो अल्पकालिक राहत जरूर देगा।
लेकिन दिल्ली की हवा को स्थायी रूप से साफ़ रखने के लिए
सरकार और जनता दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी जरूरी है।

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