छत्तीसगढ़ में वन उपज से ग्रामीणों होंगे आत्मनिर्भर

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि अब राज्य में वन उपज (Minor Forest Produce) का अधिकतम Value Addition कर ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने का समय आ गया है।
सीएम ने स्पष्ट किया कि प्रदेश के 12 लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहक राज्य की वन अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ हैं। अब उनका उद्देश्य इन्हें आधुनिक वाणिज्यिक ढांचे से जोड़कर उनके श्रम का उचित मूल्य सुनिश्चित करना है।
मूल्य संवर्धन और विपणन पर जोर
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए:
- वन उपज के प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान दें।
- अब केवल संग्रहण नहीं, बल्कि मूल्य संवर्धन और विपणन पर फोकस किया जाएगा।
- इससे ग्रामीणों को उनके श्रम का उचित लाभ मिलेगा।
सीएम ने कहा,
“छत्तीसगढ़ के जंगल केवल पर्यावरणीय संपदा नहीं हैं, बल्कि लाखों परिवारों की आजीविका का प्रमुख स्रोत हैं।”
राज्य के 46% क्षेत्र वनाच्छादित हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में 2% की वृद्धि दर्शाता है।
तेंदूपत्ता संग्राहकों को समय पर भुगतान
बैठक में सीएम ने जिला अधिकारियों को निर्देश दिया कि:
- संग्राहकों को 7–15 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
- भुगतान की जानकारी SMS के माध्यम से सीधे मोबाइल पर भेजी जाए, ताकि प्रक्रिया पारदर्शी बने।
राज्य में अब तक 15.6 लाख संग्राहकों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज हो चुकी है और सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किए जा रहे हैं।
लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स को नई पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा:
- वन आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए लघु स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- “वन धन केंद्र” को ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योगों के हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
- स्टार्टअप नीतियों में वन उपज क्षेत्र को विशेष स्थान दिया जाएगा, जिससे नवाचार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों को गति मिले।
‘छत्तीसगढ़ हर्बल’ और ‘संजीवनी’ ब्रांड को बढ़ावा
बैठक में ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर भी विशेष चर्चा हुई:
- उत्पादों को ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में सशक्त उपस्थिति दिलाई जाएगी।
- जैविक प्रमाणीकरण (Organic Certification) की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाएगी।
- लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ के उत्पाद अपने नाम और गुणवत्ता के लिए पहचाने जाएं।
औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा
सीएम ने कहा:
- राज्य में औषधीय पौधों की खेती को मिशन मोड में बढ़ावा दिया जाएगा।
- धमतरी, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिलों में विशेष योजनाएं तैयार की जाएंगी।
- इससे ग्रामीणों को नई आमदनी का स्रोत मिलेगा और छत्तीसगढ़ की पहचान हरित अर्थव्यवस्था के रूप में मजबूत होगी।
निष्कर्ष
बैठक का सार यह था कि अब छत्तीसगढ़ केवल वन उपज का उत्पादक नहीं रहेगा, बल्कि उसे मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग और विपणन के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि का प्रतीक बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस पहल से:
- लाखों संग्राहकों को सीधा लाभ मिलेगा।
- राज्य की हरियाली अब आर्थिक विकास से भी जुड़ी होगी।

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