छठ महापर्व की भव्यता से नहाया छत्तीसगढ़

सूर्य उपासना और लोक आस्था के प्रतीक छठ महापर्व की भव्यता इस बार पूरे छत्तीसगढ़ में देखने को मिली।
घाटों पर दीपमालाओं से सजे दृश्य, लोकगीतों की गूंज और श्रद्धा की लहर ने वातावरण को पवित्र बना दिया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया अर्घ्य अर्पण
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने धर्मपत्नी कौशल्या साय के साथ जशपुर जिले के दुलदुला छठ घाट पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।
उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा —
“छठ पूजा लोक आस्था का पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।”
घाटों के सौंदर्यीकरण की घोषणा
श्रद्धालुओं के बीच शामिल होकर मुख्यमंत्री साय ने
दुलदुला घाट के सौंदर्यीकरण की घोषणा की।
उन्होंने बताया कि:
- अगले वर्ष के छठ पर्व से पहले यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
- ₹5 करोड़ 17 लाख की लागत से कुनकुरी घाट विकास परियोजना को भी मंजूरी दी गई है।
साय ने कहा —
“पहले विधायक, फिर सांसद और अब मुख्यमंत्री के रूप में अपने ही क्षेत्र के श्रद्धालुओं के साथ छठ पर्व मनाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।”
शाम होते ही जब व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया, तो पूरा वातावरण “जय छठी मइया” के जयघोष से गूंज उठा।
आसपास के गांवों से आए सैकड़ों लोग इस भक्ति दृश्य को देखने पहुंचे — जिसने पूरे क्षेत्र को एक उत्सव में बदल दिया।
सरगुजा में लोकगीतों और आस्था का संगम
सरगुजा संभाग में इस बार छठ पर्व का उल्लास अपने चरम पर रहा।
घाटों पर भोजपुरी लोकभजन गूंजते रहे और महिलाएं गीत गाते हुए पूजा स्थल तक पहुंचीं।
- अंबिकापुर शहर में इस बार 27 से अधिक घाटों पर छठ पूजा का आयोजन हुआ।
- शंकर घाट सबसे प्राचीन और प्रमुख स्थल रहा।
- श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन ने
घुनघुट्टा नदी तट पर नए छठ घाट तैयार किए।
महिलाओं ने दूध, जल और ठेकुआ का प्रसाद अर्पित करते हुए
सूर्यदेव से परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की।
नारायणपुर में सांस्कृतिक एकता की मिसाल
आदिवासी बहुल नारायणपुर जिले में छठ पूजा ने सांस्कृतिक एकता की नई मिसाल पेश की।
यहाँ बंधुवा तालाब महादेव घाट पर पिछले 35 वर्षों से छठ पर्व मनाया जा रहा है।
इस बार न केवल उत्तर भारतीय समाज, बल्कि स्थानीय जनजातीय समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
हालांकि श्रद्धालुओं ने घाटों की साफ-सफाई और अधूरे निर्माण कार्यों को लेकर नाराजगी भी जताई,
फिर भी लोगों ने पूरे उत्साह से डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।
रामानुजगंज में छठ मेला, मंत्री नेताम ने की आरती
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के कन्हर नदी तट पर हजारों श्रद्धालु एकत्र हुए।
नदी किनारे दीपों की पंक्तियाँ और लोकगीतों की गूंज ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।
राज्य के कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम ने स्वयं छठ घाट पहुंचकर
गंगा आरती में भाग लिया और व्रतियों को शुभकामनाएं दीं।
महिलाओं ने बताया कि चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत
नहाय-खाय, खरना, निर्जला उपवास और अर्घ्य अर्पण जैसे चरणों में पूरा होता है।
सोमवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य, और मंगलवार की सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन किया जाएगा।
आस्था ने जोड़ा प्रदेश, लोक परंपरा का हुआ विस्तार
इस बार जशपुर से लेकर नारायणपुर और रामानुजगंज तक एक ही दृश्य दिखाई दिया —
दीपमालाओं से सजे घाट, लोकगीतों की मधुर गूंज और जल में खड़े व्रतियों की आस्था।
छत्तीसगढ़ की विविध संस्कृतियों और परंपराओं के बीच छठ महापर्व ने
पूरे प्रदेश को एकता, श्रद्धा और आस्था के सूत्र में जोड़ दिया।
और हर दिशा में गूंज उठा एक ही स्वर —
“जय छठी मइया, जय सूर्यदेव!”

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