गाजा शांति शिखर सम्मेलन में ट्रंप की भारत प्रशंसा

गाजा शांति शिखर सम्मेलन के दौरान एक दिलचस्प और कूटनीतिक रूप से अहम पल देखने को मिला, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलेआम सराहना की।
यह क्षण इसलिए और खास रहा क्योंकि उस समय ट्रंप के ठीक पीछे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ खड़े थे।
ट्रंप ने बिना मोदी का नाम लिए कहा —
“भारत एक महान देश है, और वहां के नेता मेरे अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने अपने देश के लिए शानदार काम किया है।”
इसके तुरंत बाद उन्होंने पीछे खड़े शाहबाज शरीफ की ओर मुड़कर मुस्कुराते हुए पूछा, “ठीक है?”
इस पर शाहबाज शरीफ ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाकर सहमति जताई।
यह दृश्य अब सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति हलकों में चर्चा का केंद्र बन गया है।
भारत की सशक्त वैश्विक छवि का संकेत
ट्रंप की इस टिप्पणी से साफ है कि भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति और मोदी की वैश्विक छवि कितनी मजबूत हो चुकी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पल केवल प्रशंसा नहीं था, बल्कि भारत की कूटनीतिक शक्ति और वैश्विक प्रभाव का संकेत भी था —
इतना कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भी सार्वजनिक रूप से सहमति देनी पड़ी।
🇵🇰 शाहबाज शरीफ की ‘सहमति’ का मतलब क्या है?
आम तौर पर भारत के खिलाफ तीखे बयान देने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का मुस्कुराते हुए ट्रंप की बात से सहमत होना कई मायनों में अहम माना जा रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि मई 2023 की सीमाई झड़पों के बाद पाकिस्तान को एहसास हुआ है कि भारत अब प्रतिक्रियाविहीन नहीं, बल्कि हर उकसावे का प्रभावी जवाब देने वाला देश बन चुका है।
ऐसे में पाकिस्तान के लिए भारत के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की दिशा में कदम बढ़ाना अब राजनयिक मजबूरी बन गया है।
शाहबाज की यह मुस्कान शायद यह संकेत देती है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार अब संबंध सुधारने की इच्छुक है —
बशर्ते कश्मीर जैसे विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने की जमीन तैयार हो।
ट्रंप की पुरानी मध्यस्थता और भारत का रुख
ट्रंप पहले भी कई बार भारत-पाकिस्तान विवादों में मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं।
मई 2023 में सीमावर्ती तनाव के दौरान उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्धविराम कराने में भूमिका निभाई।
हालांकि, भारत ने इस दावे को सख्ती से खारिज करते हुए कहा कि संघर्षविराम पूरी तरह द्विपक्षीय समझ के तहत हुआ था —
और इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी।
इसके बावजूद, ट्रंप ने कई बार भारत-पाकिस्तान के शांतिपूर्ण संबंधों की वकालत की है।
उनका हालिया बयान भी इस बात को दर्शाता है कि अमेरिका दक्षिण एशिया में स्थिरता और शांति को लेकर गंभीर है —
खासकर तब जब दोनों देश परमाणु संपन्न हैं।
गाजा शांति शिखर सम्मेलन: वैश्विक शांति की पहल
यह पूरा घटनाक्रम मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित गाजा शांति शिखर सम्मेलन के दौरान हुआ।
यह वही शहर है जो पहले भी इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष से जुड़ी कई ऐतिहासिक वार्ताओं की मेजबानी कर चुका है।
सम्मेलन का उद्देश्य था —
- इजराइल और हमास के बीच 2023 से जारी संघर्ष को समाप्त करना,
- मानवीय संकट को कम करना,
- और स्थायी शांति प्रक्रिया की दिशा में ठोस कदम उठाना।
इस दौरान ट्रंप की बहुचर्चित “मिडल ईस्ट पीस प्लान” पर भी चर्चा हुई।
अमेरिका ने इस मौके पर दुनिया के अन्य क्षेत्रों — खासकर दक्षिण एशिया — में शांति प्रयासों को जोड़ने की कोशिश की,
जिसमें भारत-पाकिस्तान संबंध भी प्रमुख विषय रहे।
निष्कर्ष
गाजा शांति सम्मेलन के मंच से ट्रंप का भारत-प्रशंसा बयान न केवल एक कूटनीतिक संदेश था,
बल्कि यह इस बात का भी प्रतीक है कि भारत की वैश्विक भूमिका अब निर्णायक बन चुकी है।
और जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी उस प्रशंसा पर मुस्कुरा कर सहमति जताएं —
तो यह निश्चित है कि दक्षिण एशिया की राजनीति एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है।

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