उत्तराखंड शिक्षा विभाग फिर चर्चा में

उत्तराखंड का शिक्षा विभाग एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है।
राज्य के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य पद की नियुक्ति और स्थानांतरण को लेकर सोशल मीडिया पर उठे सवालों के बाद विभाग ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।

विभाग ने कहा है कि सभी प्रक्रियाएं पूरी पारदर्शिता और नियमों के अनुसार की जा रही हैं।

सोशल मीडिया पर उठे आरोप

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा था कि
शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पद की नियुक्ति और तबादले पारदर्शी तरीके से नहीं हो रहे हैं।

कई यूजर्स ने आरोप लगाया कि विभाग अपने पसंदीदा अधिकारियों को लाभ पहुंचाने के लिए
नियमों को ताक पर रखकर स्थानांतरण कर रहा है।

इन चर्चाओं के बाद शिक्षकों में असंतोष बढ़ गया।
पहले भी विभाग पर शिक्षकों की पदोन्नति में देरी के आरोप लगते रहे हैं, जिसके चलते विरोध प्रदर्शन भी हुए।

विभाग की सफाई — “अफवाहें फैलाई जा रही हैं”

माध्यमिक शिक्षा निदेशक मुकुल कुमार सती ने बयान जारी करते हुए कहा कि

“सोशल मीडिया पर चल रही खबरें पूरी तरह भ्रामक और निराधार हैं।”

उन्होंने बताया कि
विभाग की सभी नियुक्ति और स्थानांतरण प्रक्रियाएं नियमों के तहत और पारदर्शी तरीके से की जा रही हैं।

सती ने यह भी कहा कि

“कुछ लोग जानबूझकर गलत जानकारी फैलाकर विभाग की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

विभाग ने शिक्षकों और अभ्यर्थियों से अपील की है कि
वे केवल आधिकारिक नोटिस पर ही भरोसा करें और अफवाहों से दूर रहें।

692 प्रधानाचार्य पदों की भर्ती प्रक्रिया जारी

शिक्षा विभाग के अनुसार,
राज्य शैक्षिक राजपत्रित सेवा नियमावली 2022 के अंतर्गत
राजकीय इंटर कॉलेजों में 692 प्रधानाचार्य पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है।

इनमें से 50% पद सीमित विभागीय परीक्षा के माध्यम से
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) द्वारा भरे जाएंगे।

आयोग द्वारा विज्ञापन जारी किया जा चुका है और परीक्षा की तिथि भी निर्धारित है।
विभाग का कहना है कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी होते ही
नियुक्ति नियमों के अनुरूप की जाएगी।

स्थानांतरण पर मामला हाईकोर्ट में लंबित

स्थानांतरण को लेकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि
इस समय हाईकोर्ट में सुगम और दुर्गम क्षेत्रों से संबंधित मामला विचाराधीन है।

इसलिए जब तक अदालत का निर्णय नहीं आता,
वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत किसी शिक्षक का तबादला नहीं किया जा सकता।

सती ने यह भी बताया कि
शैक्षिक सत्र 2025–26 के लिए अभी तक किसी शिक्षक का स्थानांतरण आदेश जारी नहीं हुआ है।
इसलिए सोशल मीडिया पर फैल रही खबरें पूरी तरह झूठी हैं।

सहायक अध्यापक भर्ती पर भी अदालत की रोक

विभाग ने बताया कि
सहायक अध्यापक पदों के लिए 1,352 पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।

लेकिन चयन के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की है,
जिसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया फिलहाल स्थगित है।

विभाग ने कहा कि अदालत के निर्णय के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी,
ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो।

शिक्षकों की नाराजगी, विभाग की चुनौती

राज्य में पिछले कुछ महीनों से शिक्षकों की नाराजगी बढ़ती जा रही है।
पदोन्नति, स्थानांतरण और नियुक्तियों में देरी को लेकर
शिक्षकों ने कई बार प्रदर्शन किए हैं।

वहीं, शिक्षा विभाग का कहना है कि
सभी प्रक्रियाएं कानून के अनुसार चल रही हैं
और किसी के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा।

विभाग की अपील — “अफवाहों पर न दें ध्यान”

विभाग ने शिक्षकों, अभ्यर्थियों और आम जनता से अपील की है कि
वे सोशल मीडिया पर चल रही अपुष्ट खबरों पर विश्वास न करें।

विभाग ने कहा —

“नियुक्ति और स्थानांतरण से जुड़ी हर आधिकारिक जानकारी
केवल शिक्षा विभाग की वेबसाइट या प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ही जारी की जाएगी।”

निष्कर्ष

उत्तराखंड शिक्षा विभाग इस समय पारदर्शिता और भरोसे की चुनौती का सामना कर रहा है।
सरकार की कोशिश है कि अफवाहों को खत्म किया जाए
और शिक्षकों का विश्वास विभाग पर बना रहे।

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