इंदौर में विदेशी कपड़े पर रोक, सिर्फ स्वदेशी का सहारा

अमेरिका के बढ़ते टैरिफ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “स्वदेशी अपनाओ” संदेश का असर अब इंदौर के रेडीमेड गारमेंट बाजारों में साफ दिख रहा है। यहां के व्यापारियों ने विदेशी कपड़े की खरीद पर पूरी तरह रोक लगा दी है और अब सिर्फ भारत में बने कपड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इंदौर का गारमेंट उद्योग

  • इंदौर देश का एक बड़ा गारमेंट हब है।
  • यहां से पूरे देश में रेडीमेड कपड़े भेजे जाते हैं।
  • होलकर काल से ही यहां कपास और कपड़ा उद्योग की पहचान रही है।

पहले यहां गारमेंट तैयार करने के लिए अहमदाबाद, सूरत और मुंबई से कपड़ा आता था। वहीं, चीन और बांग्लादेश से भी कपड़े खरीदे जाते थे। लेकिन अब इसमें बड़ा बदलाव हो गया है।

क्यों आया बदलाव?

  • अमेरिका ने कई सेक्टर पर 50% से 100% तक टैरिफ बढ़ा दिया।
  • इससे व्यापारियों ने विदेशी कपड़े का विरोध शुरू कर दिया।
  • इंदौर के 6 बड़े बाजारों ने मिलकर विदेशी कपड़ा खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया।

अब कारोबारी केवल स्वदेशी कपड़े ही खरीद और बेच रहे हैं।

ग्राहकों से अपील

व्यापारी अब ग्राहकों से भी कह रहे हैं कि वे सिर्फ भारतीय कपड़े ही खरीदें।

  • दुकानों पर “स्वदेशी अपनाओ” बोर्ड लगाए गए हैं।
  • कपड़े अब सिर्फ भारतीय मिलों और फैक्ट्रियों से ही मंगाए जा रहे हैं।

इससे दुकानदारों को ज्यादा फायदा हो रहा है और स्थानीय उद्योग भी मजबूत हो रहे हैं।

मोदी का स्वदेशी संदेश

पीएम मोदी ने कहा था:

“स्वदेशी सामान खरीदने से पैसा देश में रहेगा और उससे स्कूल, सड़क और अस्पताल बनेंगे।”

उन्होंने लोगों से त्योहारों पर भी सिर्फ स्वदेशी सामान खरीदने की अपील की।

स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर

  • स्वदेशी अपनाओ अभियान से रोजगार के नए मौके मिले हैं।
  • भारतीय कपड़ा मिलों की मांग बढ़ी है।
  • विदेशी कपड़े पर निर्भरता घट रही है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम भारतीय कपड़ा उद्योग और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा बदलाव साबित होगा।

नतीजा

इंदौर के गारमेंट बाजार अब स्वदेशी की ओर बढ़ चुके हैं।
व्यापारियों और ग्राहकों का यह कदम भारत को आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहा है।

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