इंडिया टू भारत.. कैसे पूरा होगा सफर ?

WHAT’S IN A NAME?  यानी नाम में क्या रखा है . WILLIAM SHAKESPEARE के इस डॉयलॉग को जरा ध्यान में रखिऐगा क्योंकि इसी डॉयलॉग में छुपा है आज के पूरे मुद्दे का हल. अब बात कर लेते है आज के मुद्दे की INDIA का नाम बदल कर भारत होने जा रहा है. दरअसल 18-22 सितंबर को संसद का विशेष सत्र चलने वाला है. जहां कहा जा रहा है इस सदन सत्र में कई बिल पर या यूं कहे की कई मुददों पर चर्चा हो सकती है.जैसे ONE NATION ONE ELECTION,महिला आरक्षण,UCC इसके साथ ही कयास लगाया जा रहा है की सदन में INDIA  का नाम बदलकर भारत करने पर भी चर्चा हो सकती है. इस बात को हवा तब मिली जब राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से राष्‍ट्रप्रमुखों को G-20 समिट का आमंत्रण भेजा गया था. इसमें ‘प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ का इस्‍तेमाल किया गया

इस निमंत्रण के सार्वजन‍िक होने के बाद से राजनीतिक दलों ही नहीं देशभर में बहस छिड़ गई है कि क्‍या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इंडिया हटाकर देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ कर सकती है.  वैसे इससे पहले भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि लोगों को ‘इंडिया’ के बजाय ‘भारत’ ही कहना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई है. विपक्षी दल या यूं कहे विरोधी दलों का ये कहना है की हमने अपने गठबंधन दल का नाम इंडिया रखा जिससे बिजेपी डर गई. कल हो कर हम अपनी गठबंधन का नाम भारत रख लेंगे तो क्या बीजेपी भारत नाम को भी बदल देगी?… खैर ये तो हुई राजनीतिक बात लेकिन अब बात कर लेते है भारत नाम की उत्पत्ति हुई कैसै. कई लोगों को ये कहानी पता होगी की जो की महाभारत के आदिपर्व से आई है की. राजा दुष्यंत और शुकंतला के बेटे भरत के नाम से ही देश का नाम भारत रखा गया है. क्योंकि त्रृषि कण्व ने भरत को चक्रवर्ती बनने का आर्शीवाद दिया था.लेकिन इसके अलावा भी भारत में कई भरत थे.  पौराणिक युग में राजा दशरथ के बेटे भरत भी काफी प्रसिद्ध हुए . उन्‍होंने अपने बड़े भाई श्रीराम की खड़ाऊं रखकर शासन किया. वहीं, नाट्यशास्त्र की रचना करने वाले भरतमुनि भी यहीं हुए हैं. मगधराज इन्द्रद्युम्न ( Indradyumna) के दरबार में भी भरत ऋषि थे. मत्स्यपुराण में मनु को प्रजा को जन्म देने और उनका भरण-पोषण करने के कारण भरत

कहा गया है. अब चलिए आपको बताते हैं की भारत का नाम अलग-अलग कहां से आया है?

अलग-अलग नाम कहां से आए ?

नाम              उत्पति

आर्यवर्त            आर्य

 भारत             ऋषि- मुनि

हिंदुस्तान           अरब

इंडिया             अंग्रेज

अब ये तो हुआ भारत का इतिहास .अब बात करते है आखिर कैसे हटेगा या हट सकता है इंडिया का नाम.सबसे पहले संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन जरुरी है .यानी हमारे संविधान का अनुच्छेद-1 कहता है, ‘इंडिया दैट इज भारत, जो राज्यों का संघ होगा.’…. अब अगर केंद्र सरकार देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ करना चाहती है तो उसे संविधान संशोधन के लिए बिल लाना होगा. और दोनों सदनों में बिल पास करवाना होगा. जिसके लिए दोनों सदनों में इस बिल का दो- तिहाई बहुमत से पास होना जरुरी है. साथ ही जरुरत है 15 राज्यों/ UT से भी मंजूरी की तब कही जा कर ये बिल पास होगा

देश का नाम भारत रखने में कितना होगा खर्च ?

अब ये तो हो गई बात की क्या करना.लेकिन उससे भी ज्यादा जरुरी बात ये है की इसमें पैसे कितने लगेंगे..क्योंकि भईया हमारे यहां किसी काम के करने से पहले ये सोचना पड़ता है की पैसा कितना बैढ़ेगा इसको करने में. और काम भी ऐसा हो तो सोचना तो बनता है क्योंकि ये देश के नाम को बदलने की बात हो रही है आपके या मेरे घर के NAME PLATE के बदलने की नहीं. तो आपको इससे पहले जानना होगा की नाम बदलने के लिए पैसों का हिसाब कैसे किया जाता है. नाम बदलने पर कितना खर्च आएगा, ये उस देश की टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल इन्कम पर निर्भर करता है. देश का नाम बदलना ठीक वैसा ही है जैसे की किसी बहुत बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप की रीब्रांडिंग करना. मान लीजिए, कोई बड़ी कंपनी अपना नाम बदलना चाहे, तो कागजों में, बैंक में तो इसे बदला ही जाएगा, साथ ही बड़ा खर्च लोगो बदलने और लोगों के दिमाग में अपनी छवि की रीब्रांडिंग में लगेगा.  विशेषजों की माने तो किसी भी कंपनी का मार्केटिंग कॉस्ट उसके टोटल रेवेन्यू का 6 प्रतिशत होता है. बाकि बचा रीब्रांडिग तो इसमें कुल 10 प्रतिसत मार्केटिंग बजट को होता है. यही बात कम और ज्यादा जीडीपी वाले देशों पर भी लागू होती है. इसके हिसाब से विशेषज्ञ का कहना है की भारत का नाम बदलने में 14 हजार करोड़ के करीब खर्च हो सकते हैं.जैसा की आपको मैंने शुरु में William Shakespeare के FAMOUS डायलॉग को सुनाया था WHAT’S IN A NAME? THAT WHICH WE CALL A ROSE BY ANY OTHER NAME WOULD SMELL JUST AS SWEET. मतलब नाम में क्या रखा है अगर गुलाब को किसी भी और नाम से बुलाया जाए तो भी गुलाब की सुगंध उतनी ही मीठी होगी. ठीक उसकी तरह भारत को भारत बुलाया जाए या फिर INDIA इसकी पहचान यहां के लोगों से है यहां की संस्कृति से है.जो की कभी नहीं बदलेगी.

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