आरएसएस ने मनाया 100 साल पूरा होने का जश्न

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर नागपुर के रेशमबाग मैदान में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें 20,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया।

पीएम मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषण को प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा—

“भागवत जी ने राष्ट्र निर्माण में संघ के योगदान और भारत की असीमित क्षमता पर प्रकाश डाला, जो न सिर्फ देश बल्कि पूरी मानवता को लाभ पहुंचाती है।”

मोदी ने यह प्रतिक्रिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर दी।

संघ प्रमुख का संबोधन

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कई अहम बातें कहीं।

  • उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की शक्ति और चरित्र ही एकता की गारंटी हैं।
  • हिंदू समाज में कभी भी “हम और वे” की सोच नहीं रही।
  • स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर बल देते हुए उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया।

भागवत ने कहा—
“आतंकियों ने 26 लोगों को धर्म पूछकर मार दिया, लेकिन हमारी सेना और सरकार की दृढ़ता ने इसका करारा जवाब दिया। इस घटना ने हमें दिखाया कि असली मित्र कौन हैं और वे भारत का कितना साथ देते हैं।”

नागपुर का ऐतिहासिक आयोजन

रेशमबाग मैदान में हुए आयोजन में स्वयंसेवकों ने पारंपरिक गणवेश में मार्च और अनुशासित प्रदर्शन किया। इस मौके पर देशभर की 83,000 शाखाओं ने भी विजयादशमी पर विशेष कार्यक्रम किए।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य था—

  • युवाओं में राष्ट्रसेवा की भावना जगाना
  • सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना
  • भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का प्रचार करना

आरएसएस की स्थापना और उद्देश्य

  • आरएसएस की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।
  • संघ का प्रमुख उद्देश्य है—
    • राष्ट्रभक्ति का भाव जगाना
    • समाज में समरसता लाना
    • भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण
  • पिछले 100 वर्षों में संघ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत, ग्रामीण विकास और सामाजिक सुधार के क्षेत्रों में बड़ा योगदान दिया है।

इस तरह नागपुर का आयोजन सिर्फ शताब्दी उत्सव नहीं था, बल्कि स्वयंसेवकों और समाज दोनों के लिए नई प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत भी बना।

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