अनंत चतुर्दशी क्यों है खास
हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथी को अनंत चतुर्दशी मनाया जाता है. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. वही इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 28 सितम्बर को रखा जाएगा.इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अराधना करते है. इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है. वही ज्योतिष बताते हैं कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने चौदह लोकों की रक्षा के लिये चौदह रूप का धारण किया था. अनंत चतुर्दशी मे भगवान विष्णु के अंनत रूप की पूजा जाती है. इस दिन लोग संकल्प लेकर 14 गांठ वाले सूत्र हाथों मे बांधते है. इसको बाँधने से संकटों का नाश होता है और सुख समृद्धि घर मे बनी रहती है. साथ ही इस दिन कुछ खाना वर्जित रहता है.
इस दिन ना खाएं नमक
अनंत चतुर्दशी के दिन नमक वर्जित रहता है, जो लोग व्रत रखते है वो तो नमक नहीं ही खाएंगे, लेकिन जो व्रत नहीं करते उनको भी नमक नहीं खाना चाहिए. इससे पूरे परिवार पर नकारात्मक असर पड़ता है.
विष्णु सहस्त्रनाम का करें पाठ .
सनातन धर्म में भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व है. माना जाता है कि जीवन की किसी भी परेशानी से अगर मुक्ति चाहिए तो श्रीहरि का नाम जपना चाहिए.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीहरि की कृपा पाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. जिससे जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है.
क्यों बांधा जाता है चौदह गांठों वालों अनंत सूत्र
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन 14 गांठो वाला रक्षासूत्र बांधा जाता है. कहा जाता है की भगवान विष्णु ने 14 लोकों की रचना के बाद इसके संरक्षण और पालन के लिए चौदह रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए ये 14 गांठे उन्हीं चौदह रुप (अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द) का प्रतिक माना जाता है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अुनसार ये चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र 14 लोकों ( भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतीक होते हैं. इसके साथ ही कहा जाता है की जो व्यक्ति 14 साल तक अनंत चतुर्थी का व्रत रखता है उसे भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ मिलता है.
अनंत सूत्र बांधने की विधि
अनंत सूत्र बांधने की अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रक्रिया है. कई लोग मंदिरों में एक साथ कथा सुन कर इसे बाजू पर बांधते है. अनंत सूत्र को महिलाएं अपने बाएं हाथ की बाजू में और पुरुष दाहिने हाथ की बाजू में बांधना चाहिए. अगर सफेद रंग का अनंत सूत्र बांध रहे है तो हल्दी या केसर में रंग लें. इसके बाद चौदह गांठें लगाएं और भगवान विष्णु को अर्पित कर दें. फिर इस मंत्र “ऊं अनंताय नम: या” का जाप करें और बाजू में बांध लें. रक्षा सूत्र को फेंकना नहीं चाहिए बल्कि किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.
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