सती का वो श्राप जिसके कारण नहीं करती औरतें करवाचौथ का त्योहार

आज करवा चौथ का त्योहार देश में मनाया जा रहा है. सभी सुहागिन औरतें आज चौथ माता और मां गौरी से निर्जला व्रत रख कर अपने पति की लंबी आयु की कामना कर रही है. करवा चौथ में औरतें सोलह श्रृंगार करके चांद को अर्ग देंती है और चंद्रमा को देख कर अपना व्रत खोलती है. लेकिन क्या आपको पता है की यूपी के मथुरा में एक ऐसी जगह है जहां ना तो औरतें करवा चौथ का व्रत रखती है ना ही सोलह श्रृंगार करती है. इसके साथ ही यहां की औरतें करवा चौथ के बाद आने वाला त्योहार अहोई अष्टमी भी नहीं करती.

इस गांव में करवा चौथ के दिन नहीं करती सोलह श्रृंगार

दरअसल इस गांव के लोगों का मानना है की एक सती के श्राप के कारण ना ही यहां करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है और ना ही अहोई अष्टमी. तो आइए जानते है क्या है इसके पीछे की कहानी. कहा जाता है की नौहझील के गांव रामनगला में एकब्राह्मण युवक अपनी नवविवाहित पत्नी की यमुना पार अपने ससुराल से विदा करावा कर भैंसा बग्घी से लौट रहा था। रास्ते में सुरीर के मुहल्ला वघा के कुछ ठाकुर समाज के लोगों के साथ बग्घी के भैंसा को लेकर झगड़ा हो गया जिसके बाद ठाकुर समाज के लोगों और युवक में मारपीट हो गई और मुहल्ले के लोगों ने ब्राह्मण युवक की हत्या कर दी. अपनी पति के दुख में उसकी नवविवाहिता पत्नी भी सती हो गई. लेकिन सती होने से पहले उसने मोहल्ले के लोगों को श्राप दिया था. जिसके बाद मुहल्लें में जवान लोगों की मौत शुरु होने लगी थी. जिसके बाद लोगों ने इसे सती का श्राप मानते हुए किए हुए अपराध की माफी मांगी और सती का मंदिर मोहल्ले में बनवाकर पूजा-अर्चना करना शुरु कर दिया. जिसके बाद सती माता का क्रोध तो शांत हो गया लेकिन इसके बाद मोहल्ले में किसी को भी करवाचौथ और अहोई अष्टमी रखने की मनाही हो गई.

हर शादी-विवाह पर सती की पूजा-अर्चना करते है यहां के लोग

इस मोहल्ले की औरतें ना ही करवा चौथ का त्योहार रखती है ना ही इस दिन सोलह श्रृंगार करती है. उन्हें डर है की ऐसा करने पर कहीं वापस से सती क्रोधित ना हो जाए. आपको बता दें की सती में सभी जाती के लोग शादी-विवाह पर सती की पूजा-अर्चना करते है और मत्था टेकते है. वहीं सैकड़ों साल के बाद भी आज भी रामनगला के ब्राहम्ण इस मुहल्ले में खाना खाना तो दूर इस मोहल्ले का पानी भी नहीं पीते है.

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