राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समय अब नजदीक आ गया है

अयोध्या राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समय अब नजदीक आ गया है. समारोह को भव्य बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. देश और दुनिया के खास और प्रतिष्ठित लोगों को निमंत्रण पत्र (Invitation Letter) भेजा जा रहा है.निमंत्रण पत्र के साथ संकल्प नाम से एक बुकलेट भी दी जा रही है. इस बुकलेट में देवरहा बाबा की तस्वीर छपी है जिनकी सोशल मीडिया पर आजकर काफी चर्चा है.देवरहा वही बाबा हैं जिन्होंने 1992 की घटना से पहले इलाहाबाद की एक सभा में राम मंदिर बनने की भविष्यवाणी कर दी थी. देवरहा बाबा ने पूरे विश्वास के साथ कहा था, ‘राम मंदिर अवश्य बनेगा. राम मंदिर बनने में कोई विघ्न नहीं डालेगा. यह मंदिर सभी के सहयोग से बनेगा.’ 33 साल पहले की देवरहा बाबा की ये भविष्यवाणी आज इसलिए अहम है क्योंकि उस वक्त तक न ही राम मंदिर के लिए लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा निकली थी और न ही विवादित ढांचा गिराया गया था.

250 साल से ज्यादा जिए देवरहा बाबा!

देवरहा बाबा बहुत मशहूर थे. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक उनका आशीर्वाद लेने गए. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ जाकिर हुसैन समेत देश दुनिया के तमाम दिग्गज बाबा से आशीर्वाद लेने जाते थे.उन्हें चमत्कारी बाबा भी कहा जाता है. भारत के दिव्य संतों में से एक माना जाता है. दुबला-पतला शरीर, लंबे बाल, सफेद दाढ़ी, कंधे पर यज्ञोपवीत और कमर में मृगछाला ही उनकी पहचान थी. देवरहा बाबा बिना किसी से कुछ पूछे ही हर किसी के बारे में सबकुछ जान लेते थे.हालांकि उन्होंने कभी अपनी उम्र, शक्ति या सिद्धि का दावा नहीं किया, लेकिन उनसे मिलने वाले लोगों ने हमेशा चमत्कार महसूस किया. इसी कारण दूर-दूर से बड़े-बड़े दिग्गज उनके दर्शन करने आते थे. वह मथुरा में यमुना नदी के किनारे स्थित अपने आश्रम में रहते थे. वहां 12 फीट ऊंचे लकड़ी के मचान से भक्तों को दर्शन देते थे. अमूमन शरीर पर एक कपड़ा ही पहनते थे.बाबा की उम्र को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं. कुछ समर्थक मानते थे बाबा 250 साल से ज्यादा जिए. कुछ समर्थक बताते हैं वो 500 साल तक जीवित रहे. कुछ लोग उनके जन्म का साल 1477 भी बताते हैं.  

राम मंदिर आंदोलन में देवरहा बाबा की भूमिका क्या थी

कहा जाता है देवरहा बाबा के पास भविष्य में क्या होने वाला है ये देखने की क्षमता थी. माना जाता है कि राम मंदिर आंदोलन के लिए उन्होंने कुछ प्रयास भी किए थे और राम मंदिर बनने की भविष्यवाणी उनके इसी प्रयास का एक हिस्सा है.अफसोस अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को देखने के लिए देवरहा बाबा आज हमारे बीच नहीं हैं. उन्होंने राम मंदिर आंदोलन शुरू होने से पहले ही 19 जून 1990 को वृंदावन में यमुना किनारे अपना शरीर त्याग दिया था.

बाबा देवरहा ने ही कांग्रेस को दिया था चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा

देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने इमरजेंसी घोषित रही. इसके बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी को करारी हार का सामना करना पड़ा.कहा जाता है कि इंदिरा गांधी काफी मायूस हो गईं थी, पूरी पार्टी आत्ममंथन में जुट गई थी. फिर किसी ने उन्हें देवरहा बाबा के दर्शन करने की सलाह दी.इंदिरा गांधी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके देवरिया आश्रम पहुंचीं. बाबा ने उन्हें अपना हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया. इंदिरा गांधी ने बाबा के इस आशीर्वाद को मन से लगा लिया और पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा रख दिया.पहले कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह गाय-बछड़ा था. ‘हाथ का पंजा’ चुनाव चिन्ह पर ही इंदिरा गांधी ने 1980 का लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की. इंदिरा गांधी एक बार फिर देश की प्रधानमंत्री बनीं. देवरहा बाबा के ऐसे कई चर्चे मशहूर हैं. 

आखिर क्या राजीव गांधी ने राम मंदिर बनने से रोका?

देवरहा बाबा का 1990 से पहले का एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. उस इंटरव्यू में बाबा ने राम मंदिर बनने से लेकर राजीव गांधी तक का जिक्र किया है.पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए बाबा कहते हैं- रामजन्मभूमि के संबंध में राजीव गांधी का सिद्धांत भी अच्छा है. सबका सिद्धांत अच्छा है.जब रिपोर्टर ने बाबा से पूछा कि क्या राजीव गांधी ने राम मंदिर बनने से रोका? तो बाबा ने कहा, ‘नहीं राजीव गांधी ने रोका नहीं है. मंदिर कायदे से बन जाएगा. मंदिर अवश्य बनेगा. मंदिर बनने में सबका सहयोग रहेगा. राजीव गांधी बड़ा अच्छा आत्मा है. हमारा प्यारा आत्मा राजीव गांधी. हमारा प्यारा विश्व हिंदू परिषद. सब हमारे हैं और मैं उनका हूं. राम मंदिर बनने में कोई विघ्न नहीं करेगा. हिंदू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, सिख सब हमारे हैं और मैं उनका हूं.’देवरहा बाबा आगे कहते हैं, ‘राष्ट्रपति जाकिर हुसैन हमारे भक्त रहे, उड़ीसा के चीफ जज खलील अहमद हमारा प्यारा भक्त रहा. लखनऊ के नवाब एहतराम अली हमारे भक्त रहे. दुनियाभर के लोग हमारे दर्शन करता है. अरब में कतर के राजदूत अली हसन भी हमारे दर्शन करने आए.’बाबा आगे कहते हैं-  सभी लोगों को हमारा आशीर्वाद गया है. हमारा ध्यान विश्व कल्याण पर है. किसी को झगड़ा करने से कोई लाभ नहीं होगा, सब झगड़ा त्याग करके मित्र भाव से स्नेह करना चाहिए. यही मेरा संदेश है. चीन, अमेरिका, फ्रांस, रूस, इंग्लैंड जितने भी देश हैं सब पर हमारा दया है. यह राष्ट्र हिंदू राष्ट्र पहले से ही है. यहां राम-कृष्ण अवतार हुए. वो लोग हिंदू के यहां अवतार लिए. तो यह देश ही हिंदू का है.

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