बिहार में आरक्षण बिल पास,किसको मिलेगा लाभ?

बिहार के विधानसभा में आज कल बवाल मचा हुआ है. एक तरफ नीतीश कुमार के बेतूके बयान ने पटना से लेकर दिल्ली तक बवाल मचा रखा है तो वहीं दूसरी तरफ आज बिहार विधानसभा में आरक्षण बिल को बढ़ाने के प्रस्ताव को पास कर दिया गया है.

क्या बिहार में बढ़ा आरक्षण सिर्फ सियासी दांव?

आपको बता दें की अब बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को 65 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया गया है. फिलहाल बिहार में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाता है. वहीं EWS को अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता था. लेकिन जब बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आई थी तब सीएम नीतीश कुमार ने ऐलान किया था की आरक्षण का दायरा बढ़ा कर इसे 65 प्रतिशत किया जाऐगा. यानी कुल मिला कर 75 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव का पास कर दिया गया है.

पहले बेशर्म बयान,फिर तू तड़ाक..नीतीश बाबू को हुआ क्या है?

वहीं गुरुवार को एक बार फिर से बिहार विधानसभा में हंगामा बरपा. दरअसल बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी नीतीश कुमार के बयान का विरोध कर रहे थे जिसके बाद नीतीश कुमार भड़क गए और कहने लगे की इनको कोई आइडिया नहीं है. मेरा गलती है की इस आदमी को मुख्यमंत्री बना दिया. इसके बाद नीतीश मांझी को भटकार लगाते हुए तू तड़ाक पर आ गए और कहा की इनको कोई सेंस नहीं है.

जाति की राजनीति,जनता किसे चुनेगी?

नीतीश ने मांझी पर हमला करते हुए कहा की इनको बोलने का कोई मतलब नहीं है. ये हमारे साथ थे तब भी गलत बयानबाजी करते रहते थे और आज उनके साथ है फिर भी गलत बयानबाजी ही करते है. मेरी गलती की वजह से ये मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन इनहीं कारणों से मुझे दोबारा सीएम बनना पड़ा था. ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या नीतीश का आरक्षण को बढ़ाने का प्रस्ताव सिर्फ और सिर्फ एक चुनावी स्टंट है? क्या इस आरक्षण बिल के प्रस्ताव से 2024 में जनता नीतीश को माफ कर पायेगी?

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