पुजारियों ने बीकेटीसी अध्यक्ष को हटाने की मांग की

उत्तराखंड के पवित्र धाम केदारनाथ में एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी की कार्यशैली को लेकर तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय निवासियों में नाराज़गी तेजी से बढ़ रही है।

केदारनाथ के पुजारियों की सर्वोच्च संस्था केदारसभा ने अब खुलकर विरोध का बिगुल फूंक दिया है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर बीकेटीसी अध्यक्ष को तुरंत हटाने की मांग की है।

केदारसभा के आरोप: “अध्यक्ष कर रहे हैं मनमानी”

केदारसभा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं।
संस्था का कहना है कि अध्यक्ष मंदिर प्रशासन में मनमानी कर रहे हैं और स्थानीय पुजारियों की राय को नजरअंदाज़ किया जा रहा है।

सभा ने आरोप लगाया कि:

  • अध्यक्ष केवल वीआईपी मेहमानों के स्वागत में व्यस्त रहते हैं।
  • आम श्रद्धालु और धाम की बुनियादी सुविधाएं उपेक्षा का शिकार हैं।
  • वीआईपी दर्शन पर कोई नियंत्रण नहीं, जिससे आम भक्तों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है।

सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा,

“अध्यक्ष का व्यवहार पुजारी समाज और स्थानीय लोगों के प्रति अनुचित है।
उनकी प्राथमिकता केवल वीवीआईपी मेहमानों की मेज़बानी है, जबकि मंदिर की मर्यादा और पवित्रता खतरे में है।”

सोना पिघलने और चढ़ावे में गड़बड़ी के आरोप

केदारसभा ने पत्र में यह भी दावा किया कि गर्भगृह में रखे कुछ सोने के आभूषणों के पिघलने की घटना को मंदिर समिति ने गंभीरता से नहीं लिया।

साथ ही, मंदिर में आने वाले चढ़ावे के प्रबंधन पर भी सवाल उठाए गए हैं।
सभा ने कहा कि चढ़ावे का सही हिसाब-किताब नहीं रखा जा रहा, जिससे श्रद्धालुओं के बीच अविश्वास बढ़ रहा है।

पत्र पर केदारसभा के महामंत्री राजेंद्र प्रसाद तिवारी, आलोक वाजपेयी, प्रदीप शर्मा समेत कई वरिष्ठ सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।

तीर्थ पुरोहितों की चेतावनी: “नहीं हटाया तो होगा जनआंदोलन”

केदारसभा ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार चारधाम यात्रा के समापन और कपाट बंद होने से पहले बीकेटीसी अध्यक्ष को नहीं हटाती, तो
तीर्थ पुरोहित समाज और स्थानीय जनता जनआंदोलन शुरू करेगी।

सभा ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि धामों की व्यवस्था को लेकर ठोस कार्रवाई वाला होगा।

सीएम धामी के निर्देश पर हुई थी नियुक्ति

मई 2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर हेमंत द्विवेदी को बीकेटीसी का अध्यक्ष बनाया गया था।
साथ ही, ऋषि प्रसाद सती और विजय कपरवान को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

सरकार का उद्देश्य था:

  • मंदिर समिति के कार्यक्षेत्र का विस्तार,
  • तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं,
  • और चारधाम यात्रा का सुचारु संचालन सुनिश्चित करना।

लेकिन केदारसभा का कहना है कि अध्यक्ष ने पद का दुरुपयोग किया और इन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हुई।

सरकार के सामने बड़ी चुनौती

चारधाम यात्रा अपने अंतिम चरण में है, और अब यह विवाद सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय ने केदारसभा का पत्र प्राप्त कर लिया है, और मामला उच्च स्तर पर विचाराधीन है।

हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

संवेदनशील समय में विवाद चिंता का विषय

जैसे-जैसे चारधाम के कपाट बंद होने का समय नजदीक आ रहा है,
ऐसे में इस तरह का विवाद सरकार और प्रशासन दोनों के लिए चिंता का कारण बन गया है।

तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि उनकी मांगें मंदिर की परंपरा और स्वाभिमान से जुड़ी हैं, इसलिए वे पीछे नहीं हटेंगे।

अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री धामी के फैसले पर टिकी हैं —
क्या वे केदारसभा की मांग मानेंगे,
या बीकेटीसी अध्यक्ष को उनके पद पर बनाए रखेंगे?
👉 इसका फैसला आने वाले दिनों में साफ होगा।

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