देवभूमि सांस्कृतिक महोत्सव 2025

उत्तराखंड के अंतिम सीमांत माणा गांव में आयोजित ‘देवभूमि सांस्कृतिक महोत्सव 2025’ का समापन रंगारंग कार्यक्रमों के साथ हुआ।
यह दो दिवसीय आयोजन उत्तराखंड सरकार और भारतीय सेना के संयुक्त तत्वावधान में हुआ, जिसने सीमांत संस्कृति, पर्यटन और जन-सेना के समन्वय का शानदार उदाहरण पेश किया।
समापन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की और इसे “देवभूमि की आत्मा से जुड़ा आयोजन” बताया।
मुख्यमंत्री धामी का आगमन और गर्मजोशी से स्वागत
रविवार को सीएम धामी बदरीनाथ धाम हेलीपैड पहुंचे, जहां डीएम गौरव कुमार और एसपी सर्वेश पंवार ने उनका स्वागत किया।
पुलिस बल ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया।
इसके बाद वे टूरिस्ट अराइवल प्लाज़ा पहुंचे, जहां स्थानीय नागरिकों और सेना के अधिकारियों ने उनका पारंपरिक स्वागत किया।
बामणी गांव की महिलाओं ने शॉल ओढ़ाकर उनका अभिनंदन किया। सीएम धामी ने कहा —
“यहां के लोगों का अपनापन ही इस धरती की सबसे बड़ी शक्ति है।”
सीमांत विकास की दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सेना, प्रशासन और जनता के सहयोग से यह आयोजन बेहद सफल रहा।
उन्होंने कहा —
“माणा महोत्सव सीमांत क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे पर्यटन को गति मिलेगी और स्थानीय युवाओं व महिलाओं के लिए नए अवसर खुलेंगे।”
उन्होंने बताया कि सरकार ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमांत इलाकों के विकास पर तेजी से काम कर रही है।
इस महोत्सव को उन्होंने इस कार्यक्रम का “सांस्कृतिक विस्तार” बताया, जो स्थानीय पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में मदद करेगा।
‘नो योर आर्मी’ प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
सीएम धामी ने भारतीय सेना और जिला प्रशासन द्वारा लगाई गई ‘नो योर आर्मी’ प्रदर्शनी का निरीक्षण किया।
उन्होंने सेना के अत्याधुनिक हथियारों, उपकरणों और मॉडल्स की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा —
“भारतीय सेना केवल हमारी सीमाओं की रक्षा नहीं करती, बल्कि सीमांत जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। ऐसे आयोजन सेना और नागरिकों के बीच आत्मीय संबंधों को मजबूत करते हैं।”
लोकनृत्य, संस्कृति और बच्चों की उमंग
महोत्सव में स्थानीय स्कूलों के बच्चों और कलाकारों ने गढ़वाली झुमेलो, छपेली और ढोल-दमाऊं की थाप पर मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।
सीएम धामी ने बच्चों को पुरस्कृत कर उनका उत्साह बढ़ाया।
उन्होंने कहा —
“गढ़वाली लोक संस्कृति हमारी असली पहचान है। ये नृत्य और गीत हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और नई पीढ़ी में सांस्कृतिक गर्व जगाते हैं।”
स्थानीय कलाकारों और बैंडों की प्रस्तुति ने महोत्सव को जीवंत बना दिया। मंच पर परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम देखने को मिला।
स्थानीय उत्पादों को मिला नया मंच
महोत्सव में स्थानीय शिल्पकारों और स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने।
यहां ऊनी वस्त्र, लकड़ी के हस्तशिल्प, जैविक मसाले, और पारंपरिक व्यंजन खास आकर्षण रहे।
सीएम धामी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन स्थानीय कारीगरों को मंच प्रदान करते हैं और पलायन रोकने (Reverse Migration) की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
उन्होंने घोषणा की कि आने वाले वर्षों में सीमांत गांवों को पर्यटन, संस्कृति और व्यापार का केंद्र बनाया जाएगा।
पर्यटन और रोजगार को नई दिशा
मुख्यमंत्री धामी ने कहा —
“यह महोत्सव केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सीमांत अर्थव्यवस्था को सशक्त करने का माध्यम है।”
उन्होंने बताया कि सर्दियों में भी इन क्षेत्रों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विशेष योजनाएं लाई जाएंगी।
माणा, नीति और मलारी गांवों को जल्द ही विंटर टूरिज्म सर्किट से जोड़ा जाएगा, ताकि सालभर पर्यटन गतिविधियां चलती रहें।
समापन पर पूजा-अर्चना और प्रदेश की समृद्धि की कामना
कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री धामी ने बदरी विशाल के दर्शन किए और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की।
उन्होंने कहा —
“देवभूमि की यह पवित्र धरती भारत की सांस्कृतिक आत्मा की प्रतिनिधि है।”
निष्कर्ष
देवभूमि सांस्कृतिक महोत्सव 2025 सिर्फ एक आयोजन नहीं रहा —
यह सीमांत उत्तराखंड की संस्कृति, सेना, पर्यटन और आत्मनिर्भरता का जीवंत उत्सव बन गया।
यहां परंपरा ने आधुनिकता का हाथ थामा और माणा गांव फिर से देश के नक्शे पर गौरव का प्रतीक बन गया।

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