जौनपुर की सियासत में महाराष्ट्र के महारथी की छाप
इस बार जौनपुर लोकसभा के लिए भाजपा ने बड़ा दाव खेला हैं, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री कृपाशंकर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया हैं, कृपाशंकर मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं, कृपाशंकर सिंह साल 1971 में वो पहली बार रोजगार की तलाश में जौनपुर से महाराष्ट्र को पलायन किया था, वो अपनी सियासी जमीन बनाने के लिए 1977 में इंदिरा की गिरफ़्तारी पर सड़क पर कूद गए और जेल भी गए,
उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन के चार दशक महाराष्ट्र कांग्रेस में बिताए है, जिस पार्टी ने कृपाशंकर सिंह को MLA, MLC,कैबिनेट मंत्री,मुंबई कांग्रेस प्रदेश का अध्यक्ष तक बनाया उस पार्टी को कृपाशंकर सिंह ने 2019 मे टाटा बाय बाय कह दिया और भाजपा में आ गए।
कृपाशंकर सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है, कृपाशंकर सिंह पर घोषित आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज हुए ,जिसके चक्कर में कृपाशंकर को अपनी मंत्री की कुर्सी गवानी पड़ी, इसके बाद एक मामला और उभर कर आया पहले कृपाशंकर सिंह खुद को स्नातक बताते थे लेकिन विवाद बढ़ा और डिग्रियों पर सवाल उठे तो खुद ही हाईस्कूल लिखने लगे।
कृपाशंकर के बारे में ईडी को खरबों की संपत्तियों की जानकारी मिली लेकिन कृपाशंकर का दल बदते ही एजेंसीयों का भी दिल कृपाशंकर के प्रति बदल गया,
कांग्रेस छोड़ने के बाद महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजे जाने की अटकले लगाई जा रही थी लेकिन भाजपा में आने के बाद भी महाराष्ट्र भाजपा ने कृपाशंकर सिंह को ज्यादा तवज्जो नहीं दी, यह तक की कृपाशंकर को प्रदेश कार्यकरणी में भी कोई जगह नहीं मिली,
महाराष्ट्र भाजपा शीर्ष नेतृत्व कृपाशंकर सिंह के आने से खुश नहीं थे, यहा तक की महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्र शेखर बावनकुले भी नाराजगी जाहीर कर चुके थे
कृपाशंकर सिंह अब महाराष्ट्र की राजनीत को छोड़ कर वो अपने शहर जौनपुर की राजनीति में आना चाहते थे, वही उत्तरप्रदेश में भाजपा पूर्वांचल में अपनी खोई हुई सियासी जमीन को पाने की तलाश में जुटी हुई थी, क्योंकि 2019 के चुनाव में पूर्वांचल की जौनपुर, आज़मगढ़ ,घोसी और मऊ की शीट पर करारी हार मिली वही मछलीशहर, सुल्तानपुर जैसी कुछ सीटों पर जीत का अंतर बहुत काम रहा।
भाजपा ने जौनपुर सीट के लिए जातीय समीकरण के हिसाब से एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी, वो तलाश भाजपा की कृपाशंकर सिंह पर खत्म हुई। कृपाशंकर सिंह को भाजपा ने जौनपुर का अपना उम्मीदवार बना दिया, लेकिन लोगों की नाराजगियाँ यह भी कृपाशंकर सिंह की पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही हैं,
हमने जौनपुर के कुछ संगठन के कुछ नेताओं से बात की तो उन्होंने ने भी कृपाशंकर सिंह के उम्मीदवारी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की, उनका कहना था की जब आपके बस इतने सारे ऑप्शन है तो आप महाराष्ट्र के राजनेता को मौका क्यों दे रहे हैं, ऐसे में वो जब चार दशक तक किसी दूसरे प्रदेश की राजनीति में रहा हो, उसे जौनपुर की जनता की समस्याओं और जमीनी हकीकत के बारे कितनी जानकारी होगी।
पत्रकार ओमर रशीद कहते हैं, “उनकी ज़िन्दगी की कहानी रंक से राजा के सामान रही है. और उन्होंने मुंबई में रहने वाले उत्तर भारत के लोगों को कांग्रेस से जोड़ने का काम किया था. लेकिन भाजपा के पास पहले से ही जौनपुर में कृष्ण प्रताप सिंह जैसे मज़बूत ठाकुर बिरादरी के नेता हैं तो उस लिहाज़ से कृपा शंकर को टिकट मिलना थोड़ा आश्चर्यजनक भी लगा.”
कृपा शंकर सिंह के जौनपुर से पुराने रिश्ते को समझते हुए वरिष्ठ पत्रकार पवन सिंह कहते हैं कि, “एक अनुमान है कि जौनपुर से बड़ी संख्या में लोग मुंबई रोज़गार की तलाश में जाते हैं. कृपा शंकर सिंह जौनपुर के इन लोगों को नौकरी दिलाने, घर दिलाने, गैस दिलाने और अन्य सुविधाएं दिलाने में मदद करते आए हैं. तो ऐसे वो जौनपुर में अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं. और उनके बारे में कहा जाता है कि वो सभी बिरादरियों के लोगों की मदद करते हैं. उनके जौनपुर में कॉलेज भी हैं. और यहाँ के सामाजिक कार्यक्रमों में अक्सर शिरकत करते हैं.”
अब देखना हैं की जौनपुर की जनता की कितनी कृपा कृपाशंकर सिंह पर होती हैं
क्योंकि पिछले तीन दशको में जौनपुर की राजनीति में कोई भी स्थिरता नहीं रही रही है, कभी भाजपा तो कभी बसपा तो कभी सपा के खाते में जौनपुर की सीट रही है अब देखना है की आने वाले वक्त में जौनपुर और जौनपुर के लोगों पर महाराष्ट्र की सियासत का ये महारथी अपनी छाप छोड़ पाते हैं !!
Journalist Dipanshu Tiwari
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