छठ पूजा: आस्था, भक्ति और लोक संस्कृति का महापर्व

छठ पूजा — आस्था और भक्ति का वह पर्व, जो हर साल पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
इस बार छठ महापर्व 25 अक्टूबर से “नहाय-खाय” के साथ शुरू होगा और चार दिनों तक श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की उपासना में लीन रहेंगे।

बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसकी खास धूम रहती है,
लेकिन अब इसकी गूंज पूरे भारत और विदेशों में बसे भारतीय समुदायों तक पहुंच चुकी है।

प्रधानमंत्री मोदी की खास अपील

छठ पर्व से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर देशवासियों से एक अनूठी अपील की।

उन्होंने लिखा –

“प्रकृति और संस्कृति को समर्पित महापर्व छठ निकट आ रहा है।
श्रद्धालु पूरे देश में इसकी तैयारियों में जुटे हैं।
छठी मैया को समर्पित गीत इस पावन अवसर की दिव्यता को और बढ़ा देते हैं।”

पीएम मोदी ने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के पारंपरिक छठ गीत उनके साथ साझा करें,
ताकि इन लोकधुनों की गूंज पूरे भारत में फैल सके।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वे इन गीतों को देशवासियों के साथ साझा करेंगे,
जिससे लोक संस्कृति को नया मंच और सम्मान मिल सके।

महिलाओं की रचनात्मकता और “मोदी भैया” गीत

प्रधानमंत्री की इस पहल के बाद देशभर से लोग अपने छठ गीत साझा करने लगे हैं।
इसी बीच बिहार की एक महिला का गीत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया,
जिसमें उन्होंने “मोदी भैया” का नाम लेकर प्रधानमंत्री को भी आस्था के इस पर्व में शामिल कर लिया।

गीत में उन्होंने छठी मैया से प्रार्थना की –

“मोदी भैया देश का भला करें, सबका कल्याण करें, भारत में सुख-समृद्धि लाएं।”

यह गीत लोगों के दिलों को छू गया।
यह केवल आस्था ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री के प्रति जनता के स्नेह और विश्वास को भी दर्शाता है।

छठ पूजा का धार्मिक महत्व

छठ पूजा हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन और पवित्र त्योहारों में से एक है।
कहा जाता है कि माता सीता ने अयोध्या लौटने के बाद भगवान राम के साथ यह पर्व मनाया था,
और कुंती व द्रौपदी ने भी द्वापर युग में सूर्य देव की उपासना की थी।

यह पर्व सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है।
भक्त उपवास रखते हैं,
नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

यह सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी है।

लोकगीतों की अमर परंपरा

छठ पूजा के लोकगीत इस पर्व की आत्मा माने जाते हैं।
इनमें मातृत्व, कृतज्ञता और परिवार की खुशहाली झलकती है।

लोकप्रिय गीत जैसे —
“कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए हो…”
“उग हे सूरज देव, अरघ के बेर में…”

आज भी हर गांव, घाट और मोहल्ले में गूंजते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल से यह उम्मीद जगी है कि
छठ के ये पारंपरिक गीत राष्ट्रीय पहचान पाएंगे
और नई पीढ़ी भी इनसे जुड़ सकेगी।

सामाजिक एकता का संदेश

छठ पूजा सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं,
बल्कि सामाजिक एकता और सहयोग का पर्व भी है।

हर जाति, वर्ग और समुदाय के लोग मिलकर तैयारी करते हैं —
घाटों की सफाई, प्रसाद बनाना, और पूजा की व्यवस्था —
सब कुछ सामूहिक रूप से किया जाता है।

यही इस पर्व की सबसे बड़ी खूबसूरती है —
आस्था में एकता, और एकता में शक्ति।

निष्कर्ष

छठ पूजा हमें सिखाती है कि
भक्ति सिर्फ मंदिरों में नहीं,
बल्कि प्रकृति, परंपरा और समाज के प्रति जिम्मेदारी में भी है।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल से
यह पर्व अब केवल बिहार का नहीं,
बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक पहचान बनता जा रहा है।

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