उत्तराखंड में महिला अपराध पर NCRB रिपोर्ट खतरा

तीन साल में 11% बढ़े अपराध, 2024 में आई मामूली राहत — गुमशुदा बच्चों और महिलाओं के आंकड़े भी चिंताजनक

तीन साल में 11% की वृद्धि

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2023 रिपोर्ट के अनुसार,
उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध बीते तीन वर्षों में 11 प्रतिशत बढ़े हैं।

  • 2021 में कुल 3431 मामले दर्ज हुए।
  • 2022 में बढ़कर 4337 मामले
  • 2023 में यह घटकर 3808 मामले रह गए।

यानी 2022 की तुलना में थोड़ी गिरावट आई,
लेकिन 2021 से 2023 तक का औसत अभी भी चिंताजनक बढ़त दिखाता है।

2024 में अपराधों में 12% की कमी

उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि
2023 के बाद महिला अपराधों में लगभग 12% की गिरावट दर्ज हुई।

2024 में कुल 3342 मामले दर्ज किए गए,
जो राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति पुलिस की बढ़ती सक्रियता को दर्शाता है।

दिलचस्प बात यह है कि
हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्य में महिला अपराधों की दर लगभग आधी है —
वहां 2023 में केवल 1604 मामले दर्ज हुए।

गुमशुदा बच्चों और महिलाओं की स्थिति

रिपोर्ट के मुताबिक,
2023 में 1023 बच्चे गुमशुदा हुए,
जिनमें से 933 बच्चे बरामद कर लिए गए।
2024-25 में और 77 बच्चे सुरक्षित लौटे,
जबकि 15 बच्चे अभी भी लापता हैं।

2021 से जून 2025 तक कुल 10,500 महिलाएं और बालिकाएं गुमशुदा हुईं,
जिनमें से 757 अभी तक नहीं मिल पाई हैं।

ये आंकड़े बताते हैं कि
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए
अभी भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

आईपीसी और SLL अपराधों में भी बढ़ोतरी

NCRB रिपोर्ट में अपराधों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है —
IPC (Indian Penal Code) और SLL (Special & Local Laws)

  • IPC में हत्या, चोरी, डकैती जैसे अपराध शामिल हैं।
  • SLL में नशीले पदार्थ, जुआ, हथियार या पर्यावरण से जुड़े अपराध आते हैं।

उत्तराखंड में 2021 से 2023 के बीच:

  • IPC मामलों में 8.9% वृद्धि (राष्ट्रीय औसत 2.7%)
  • SLL मामलों में 19% वृद्धि — 1245 से बढ़कर 1710

यह दिखाता है कि
राज्य में अपराध की रफ्तार देश के औसत से लगभग दोगुनी है।

चार्जशीट दर में भी कमजोरी

देहरादून SDC फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के अनुसार,
राज्य में अपराध नियंत्रण की गति अभी संतोषजनक नहीं है।

उन्होंने कहा —

“देशभर में चार्जशीट दर तीन सालों में 72.7% रही,
जबकि उत्तराखंड में यह केवल 68.5% है।”

इसका मतलब है कि
राज्य में अपराधियों पर कानूनी कार्रवाई और सजा की प्रक्रिया
अब भी राष्ट्रीय स्तर से पीछे है।

पर्यावरणीय अपराधों में विरोधाभास

NCRB रिपोर्ट में पर्यावरणीय अपराधों को लेकर भी चौंकाने वाले आंकड़े मिले —

वर्षमामले
2021912
202258
2023572

विशेषज्ञों का कहना है कि
यह डेटा अत्यधिक विरोधाभासी है और
रिपोर्टिंग सिस्टम में असमानता को दर्शाता है।

ये अपराध वन अधिनियम, वन्य जीव अधिनियम
और अन्य पर्यावरण कानूनों के तहत दर्ज किए जाते हैं।

विशेषज्ञों की राय: “जिलेवार विश्लेषण जरूरी”

अनूप नौटियाल का कहना है —

“NCRB डेटा राज्य सरकारों द्वारा भेजा जाता है।
अगर पुलिस खुद इस डेटा पर सवाल उठाती है,
तो उन्हें अपनी प्रदर्शन समीक्षा भी करनी होगी।”

उन्होंने सुझाव दिया कि
राज्य सरकार को जिलेवार अपराध विश्लेषण,
डेटा ऑडिट और नीतिगत सुधार पर
गंभीरता से काम करना चाहिए।

निष्कर्ष: अपराधों में गिरावट, पर चिंता बरकरार

हालांकि 2023 और 2024 में
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कुछ कमी दर्ज हुई है,
लेकिन तीन साल का औसत अब भी
वृद्धि के संकेत दे रहा है।

गुमशुदा बच्चों, महिलाओं और SLL अपराधों की बढ़ती संख्या
राज्य के लिए गंभीर चेतावनी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि
पुलिस को रणनीति, निगरानी और कानूनी कार्रवाई में
और सुधार लाने की जरूरत है,
ताकि उत्तराखंड को महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित राज्य बनाया जा सके।

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