शिवराज सिंह भी बने डीपफेक के शिकार

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की AI एक बड़ा चुनौती बन गया है. राज्य में चुनाव प्रचार के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान पूर्व सीएम कमलनाथ का वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में सीएम शिवराज एक मीटिंग में पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ को रोकने की बात कह रहे हैं. वीडियो AI यानी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाया गया है.

चुनाव में AI बना बड़ी चुनौती

वीडियो में सुनाई देने वाली आवाज हूबहू सीएम शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ की ही लगेगी. वही दुसरी तरफ दावा ये भी है कि तेलंगाना में भी TPCC प्रमुख ए रेवंत रेड्डी का AI जनरेटेड वीडियो वायरल हुआ है. वीडियो में कथित तौर पर BRS के बारे में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी. इसे अब वायरल कर दिया गया है जो कि पार्टी के लिए एक बड़े झटके का काम कर सकता है.

शिवराज सिंह भी बने डीपफेक के शिकार

आपको बता दे की जी-20 की बैठक के बाद इंस्टाग्राम पर प्रधानमंत्री मोदी की आवाज में रीलों की बाढ़ आ गई है. भारत हास्य प्रधान देश हैं और प्रधानमंत्री खुद अपने ऊपर हल्के फुल्के व्यंग्य बर्दाश्त कर लेते हैं. लेकिन जाहिर तौर पर जब किसी की छवि या किसी को भी ऐसे मजाक से नुकसान होने लगे तो इसे ठीक नहीं कहा जाता है..

इसे रोकने के लिए कानून में कई प्रावधान

वोटर्स को गुमराह करने और चुनाव पर असर डालने वाले इन वीडियो और इनको बनाने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है वो भी जान लेते हैं. भारत में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के तहत डीपफेक संबंधी मामलों से निपटा जाता है. नागरिकों की प्राइवेसी की सुरक्षा के लिए इस एक्ट में कई प्रावधान किए गए हैं.

आईटी एक्ट, 2000, सेक्शन 66E-जुर्माना और जेल

सेक्शन 66E प्राइवेसी से जुड़ा मामला देखता है. ये पहचान की चोरी पर कानूनी शिकंजा कसता है. धोखे या बेईमानी से जानबूझकर अगर आपने किसी दूसरे की पहचान यानी आइडेंटिफिकेशन का किसी व्यक्ति की प्राइवेसी का उल्लंघन करते हुए उसकी सहमति के बिना उसके प्राइवेट एरिया की इमेज को कैप्चर, पब्लिश या फैलाते हैं तो 3 साल की जेल और 2 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. वहीं, अश्लील कंटेंट फैलाने के मामले में भी अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की जेल और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकते हैं.

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