फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम क्या है?

जब आपको लगे कि फोन वाइब्रेट हुआ, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
क्यों होता है यह सिंड्रोम?
- बार-बार फोन चेक करने की आदत से दिमाग़ “फेक सिग्नल” पकड़ने लगता है।
- हल्की-सी हरकत, कपड़े की रगड़ या मांसपेशियों की हलचल भी वाइब्रेशन जैसा लग सकती है।
- लगातार नोटिफिकेशन मिलने से दिमाग़ “हमेशा अलर्ट” मोड में आ जाता है।
किसे होता है ज्यादा?
- जो लोग दिनभर फोन को जेब में रखते हैं।
- कॉलेज स्टूडेंट्स और ऑफिस वर्कर्स।
- जिन्हें बार-बार फोन चेक करने की आदत है।
लक्षण क्या हैं?
- बिना वजह बार-बार फोन चेक करना।
- फोन पास न होने पर भी वाइब्रेशन महसूस होना।
- कोई नोटिफिकेशन न आए तो बेचैनी होना।
कैसे पहचानें?
- दिन में कई बार फोन चेक करने के बावजूद कुछ न मिलना।
- फोन दूर रखने पर भी जेब या हाथ में कंपन महसूस होना।
- बार-बार यह अनुभव होने के बावजूद खुद को रोक न पाना।
बचने के आसान तरीके
- दिन में कुछ समय फोन से दूरी बनाएं।
- नोटिफिकेशन अलर्ट्स कम करें या साइलेंट मोड में रखें।
- सोने से पहले फोन दूर रखें।
- ध्यान (Meditation), गहरी सांसें और रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं।
- मोबाइल के अलावा हॉबी और ऑफलाइन एक्टिविटीज़ में समय बिताएं।
संभावित प्रभाव
- अनावश्यक चिंता और बेचैनी
- बार-बार ध्यान भटकना
- पढ़ाई या काम में फोकस की कमी
- नींद की गुणवत्ता में गिरावट
निष्कर्ष:
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह दिखाता है कि मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। थोड़ी-सी जागरूकता और डिजिटल डिटॉक्स से इसे रोका जा सकता है।
Source – research by me and AI help it to frame it
This article is written by Shreya Bharti, Intern at News World India

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