पहले अयोध्या फिर काशी, अब क्या मथुरा है सिर्फ बाकी?

जहां एक तरफ अयोध्या में राम लल्ला को लाने की तैय़ारी जोर सोर से चल रही है. 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने है. वहीं अभी 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव चल रहे है. इनमें से एक राज्य राजस्थान भी है. राजस्थान की धरती को राजपूतों के साथ-साथ एक और नाम के लिए जाना जाता है वो है मीराबाई. और मीराबाई के साथ अगर भगवान श्रीकृष्ण का नाम ना जुड़े तो अधूरा लगेगा. तो क्या है इस चुनाव में मीराबाई और भगवान कृष्ण से बीजेपी का कनेक्शन आईए आपको बतातें हैं.
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आपको बता दें की पीएम मोदी आज मथुरा के दौरे पर है. पीएम मोदी यहां ब्रजरस कार्यक्रम में शामिल हुए. पीएम मोदी के साथ-साथ सीएम योगी आदित्यनाथ और सांसद हेमा मालिनी भी शामिल रही. पीएम मोदी इसके साथ ही मीरा बाई के जनमोत्सव में शामिल होंगे. वहीं राजस्थान की बात करें तो 25 नवंबर को राजस्थान में चुनाव होने है. वहीं प्रदेश में आज चुनाव प्रचार थम चुका है. राजस्थान में कुल 199 सीटों पर चुनाव होने है. वहीं राजस्थान की सीमा मथुरा से ज्यादा दूर नहीं है. तो ये कहना गलत नहीं होगी की पीएम मोदी मथुरा से राजस्थान को भेदने की कोशिश कर रहे है.
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एक तरफ मीरा बाई का कनेक्शन राजस्थान के राजपूतों से है तो वहीं भगवान कृष्ण की भक्ति में अपना जीवन समर्पित करने वाली मीरा बाई का कनेक्शन ब्रज से भी है. एक तरफ मीराबाई ने जहां राजस्थान के पाली जिले के कुड़की में जन्म लिया था .तो वहीं अपने जन्म के अंतिम काल में वो ब्रज में थी. मीराबाई कुल 15 साल तक ब्रज में ही रही है. तो कुल मिला कर देखा जाए तो बीजेपी ने हिंदूत्य का कुल सटीक आकालन बैठाया है.बीजेपी मीराबाई के जन्मोत्सव से एक तीर दो निशान करना चाहती है एक तरफ राजस्थान के राजपूतों की 7 प्रतिशत वाले वोट की पकड़ जिसका प्रभाव 50-60 सीटों पर पड़ेगा. तो वहीं भगवान श्रीकृष्ण के इंपैक्ट से 5 प्रतिशत यादवों का वोट बैंक.
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वैसे ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने एक पंत दो काज किए हो. इससे पहले भी पीएम ने छत्तीसगढ़ और एमपी में चुनाव प्रचार थमने के तुरंत बाद ही बिरसा मुंडा की जन्मभूमि झारंखड पहूंचे थे. यहां पीएम उनके गांव उलिहातु पहुंचे थे. बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के भगवान माने जाते है. आदिवासी आबादी में उनका काफी प्रभाव है.ऐसे में पीएम मोदी ने झारंखड पहुंच कर आदिवासी समाज के लोगों को साधने की कोशिश की. तो ये चुनाव प्रचार के आखिरी दिन वाला कार्यक्रम आखिर क्या है संयोग या फिर प्रयोग? क्या पीएम मोदी ने धर्म और जाति का आकालन करके चुनाव की पूरी गणित को तैयार कर लिया है? और अगर हां, तो फिर इसका परिणाम क्या बीजेपी को विधानसभा चुनाव में बंपर जीत से मिलने वाला है?

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