टीचर्स एसोसिएशन, लंबित मांगों पर तुरंत कार्रवाई

हरियाणा कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एचसीटीए) ने प्रदेश के 97 सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के शिक्षकों की लंबित मांगों को लेकर राज्य सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की है।

  • एचसीटीए के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. दयानंद मलिक ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर जल्द मुलाकात का समय मांगा है।

वर्षों से लंबित शिक्षक हित की मांगें

एचसीटीए का कहना है कि शिक्षकों से जुड़े कई अहम मुद्दे लंबे समय से अनदेखे पड़े हैं।

  • इससे शिक्षक वर्ग में असंतोष है और शिक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
  • बार-बार निवेदन के बावजूद समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

मुख्य मांगें

  1. एनपीएस कर्मचारियों को पेंशन और ग्रेच्युटी लाभ
    • 1 जनवरी 2006 के बाद नियुक्त एनपीएस (नई पेंशन योजना) के तहत आने वाले शिक्षकों को रिटायरमेंट पर पेंशन, ग्रेच्युटी और डेथ ग्रेच्युटी देने की मांग।
  2. संशोधित एचआरए लागू किया जाए
    • 7वें वेतन आयोग के अनुसार हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) तुरंत लागू करने की मांग।
    • अन्य विभागों और विश्वविद्यालयों में यह पहले ही लागू हो चुका है।
  3. चिकित्सा योजना और ग्रेच्युटी सीमा में वृद्धि
    • शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए व्यापक चिकित्सा योजना
    • ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा ₹25 लाख तक बढ़ाने की मांग।
  4. एक्स-ग्रेशिया स्कीम 2019 की बहाली
    • 2019 की एक्स-ग्रेशिया स्कीम को पुनः लागू करने की मांग।
    • आकस्मिक निधन पर कर्मचारियों के परिवारों को आर्थिक सुरक्षा मिले।
  5. महिला कर्मचारियों को अतिरिक्त अवकाश
    • महिला कर्मचारियों की कैजुअल लीव 20 से बढ़ाकर 25 करें।
    • 2016 के नए अवकाश नियम लागू किए जाएं।
  6. 20 वर्षों की सेवा पर पेंशन लाभ
    • 20 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को पेंशन लाभ देने की मांग।

वेतन अटकने से बढ़ रही परेशानी

  • एचसीटीए ने कहा कि वेतन, अवकाश नकदीकरण और ग्रेच्युटी के लिए बजट विधानसभा से पारित हो चुका है।
  • बावजूद इसके कई शिक्षकों को 2-3 महीने तक वेतन नहीं मिलता, जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है।

मुख्यमंत्री से शीघ्र वार्ता की मांग

  • एचसीटीए ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि प्रतिनिधिमंडल को तुरंत बुलाकर इन समस्याओं पर गंभीरता से विचार किया जाए।
  • आवश्यक निर्णय लेकर शिक्षकों को राहत प्रदान की जाए।

एचसीटीए ने चेतावनी दी है कि यदि समस्याओं का समाधान शीघ्र नहीं हुआ, तो शिक्षकों को आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर होना पड़ेगा।

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