उत्तराखंड में शिक्षक आंदोलन और तेज़ होने वाला है!

उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ ने अपनी लंबित मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन शुरू करने की तैयारी की है।
इस बार आंदोलन गढ़वाल से कुमाऊं तक फैलेगा और मुख्यमंत्री कार्यालय (CM Office) तक घेराव किया जाएगा।

शिक्षक संघ की मुख्य मांगें

  • 100% पदोन्नति की व्यवस्था लागू हो।
  • प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती नहीं हो।
  • लंबे समय से रुकी स्थानांतरण प्रक्रिया को तुरंत शुरू किया जाए।

कई बार ज्ञापन देने और बातचीत करने के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
इसलिए अब संघ आंदोलन को और सशक्त बनाएगा।

बड़े जुलूस: गढ़वाल और कुमाऊं में

श्रीनगर (गढ़वाल) और हल्द्वानी (कुमाऊं) में विशाल जुलूस निकाले जाएंगे।
ये जुलूस छुट्टी के दिन आयोजित होंगे ताकि अधिक से अधिक शिक्षक और आम लोग शामिल हो सकें।
उद्देश्य: जन समर्थन हासिल कर सरकार पर दबाव बनाना।

सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव

अगर मांगे नहीं मानी जातीं, तो अगला कदम:

  • सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव।
  • ब्लॉक व जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन।

यह आंदोलन किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, सिर्फ शिक्षकों के अधिकारों के लिए है।

प्रशासनिक जिम्मेदारियों से अलग होंगे शिक्षक

अब प्रधानाचार्य और डायट प्राचार्य केवल शिक्षण कार्य करेंगे।
प्रशासनिक जिम्मेदारियां अधीनस्थ कर्मचारियों को सौंपी जाएंगी।
किसी भी प्रकार का दबाव बनने पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

पढ़ाई पर असर नहीं पड़ेगा

संघ ने स्पष्ट किया:

  • छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं आएगा।
  • शिक्षक केवल पढ़ाने के कार्य में लगे रहेंगे।
  • गैर-शैक्षिक जिम्मेदारियों का बहिष्कार किया जाएगा।

यह आंदोलन केवल न्यायोचित मांगों के लिए है, आपदा जैसी स्थिति के लिए नहीं।

संघ का ऐलान

राम सिंह चौहान (प्रदेश अध्यक्ष) का कहना है:

“हमारा आंदोलन पूरी तरह से न्यायसंगत है।
जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, चरणबद्ध आंदोलन चलता रहेगा।”

निष्कर्ष

उत्तराखंड में शिक्षक संघ का यह आंदोलन दिन-ब-दिन और तेज़ होता जाएगा।
जुलूस, घेराव और प्रशासनिक जिम्मेदारियों का बहिष्कार सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।
अब सरकार की प्रतिक्रिया पर सबकी नज़रें टिकी हैं।

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