उत्तराखंड में इस साल 1220 सड़क दुर्घटनाएं हुई जिसमें 750 लोगों की जान गई

उत्तराखंड में कई लोगों को खून पसीने की कमाई लुटाना मंजूर है लेकिन नियमों का पालन करना नहीं.. ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के आंकड़े तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। स्थिति यह है कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ताबड़तोड़ कार्रवाई के जरिये विभाग को मालोमाल कर रहे हैं..तो आम लोगों को खून पसीने की गाढ़ी कमाई बर्बाद होने का मलाल भी नहीं दिख रहा। शायद यही कारण है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल नियमों के उल्लंघन के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है..और इसमें मैदानी जिले बेहद आगे दिखाई दे रहे हैं। देखिये रिपोर्ट.

उत्तराखंड में दुर्घटनाओं के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं.. पिछले साल के मुकाबले सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि साल-दरसाल राष्ट्रीय स्तर पर भी दुर्घटनाओं का रिकॉर्ड बढ़ रहा है.. उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के रिकॉर्ड पर गौर करें तो ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की तरफ से कार्रवाई में तेजी लाने के बाद भी हालत नहीं सुधर पा रहे हैं.. बड़ी बात यह है कि लोगों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई होने के बाद भी नियमों का उल्लंघन करने के मामले में सुधार नहीं हो पा रहा है। आम लोगों को हजारों रुपए ट्रांसपोर्ट विभाग की कार्रवाई के दौरान है जाने के रूप में देने पड़ रहे हैं लेकिन शायद इसका कुछ खास असर लोगों पर नहीं हो रहा, तभी तो पिछले साल के मुकाबले इस बार जारी किए गए आंकड़ों में यातायात नियमों  के उल्लघन कम होने के बजाय बढ़ गए हैं। सबसे पहले जानिए उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में जारी हुए आंकड़ों की स्थिति..

  • ट्रांसपोर्ट विभाग ने गढ़वाल क्षेत्र में इस साल 10 महीने में 82110 चालान किए
  • चालान के जरिए इस साल करीब 14 करोड़ का हुआ जुर्माना वसूल
  • साल 2022 में कुल 46846 यातायात नियम उल्लंघन के दर्ज किए गए थे मामले
  • 10 महीने में करीब 75.20 प्रतिशत ज्यादा चालान काटे गए
  • उत्तराखंड में इस साल 1220 सड़क दुर्घटनाएं हुई जिसमें 750 लोगों की जान गई

उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन में चार जिलों को लेकर नियमों के उल्लंघन से जुड़े जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके पीछे कई तर्क भी दिए जा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि विभाग की तरफ से निगरानी का दायरा बढ़ाने के कारण भी चालान के मामले बढ़ रहे हैं। गढ़वाल के चार जिलों में करीब 82 हजार से ज्यादा चलन काटे गए हैं लेकिन इसके लिए सड़क पर बढ़ती गाड़ियां भी वजह है साथ ही रोड सेफ्टी को देखते हुए जिस तरह निगरानी सिस्टम बढ़ाया गया है उसके कारण भी चालान के मामले बढ़ रहे हैं।

लोगों के चालान के मामले में मैदानी जिले सबसे आगे हैं और देहरादून रीजन में जो रिकॉर्ड सामने आए हैं वह इस बात की तस्वीर भी करते हैं। गढ़वाल मंडल के चार जिलों में तुलनात्मक आंकड़ों को देखे तो पिछले साल की तुलना में लोगों के नियमों का उल्लंघन करने के मामले सबसे ज्यादा हरिद्वार जिले में बढ़े हैं। देहरादून रीजन के चार जिलों की क्या है आंकड़ों के लिहाज से स्थिति देखिये.

  • यातायात नियमों के उल्लंघन के सबसे ज्यादा मामले मैदानी जिलों में बढे
  • देहरादून हरिद्वार उत्तरकाशी और टिहरी जिले में पिछले साल की तुलना में बढ़ रहे चालान के मामले
  • हरिद्वार में इस साल 94% यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले बढ़े
  • देहरादून में 65% लोगों ने पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा नियम तोड़े
  • उत्तरकाशी जिले में 69 प्रतिशत चालान की संख्या बढ़ गयी।
  • जबकि टिहरी जिले में 46% लोग ज्यादा नियम तोड़ते हुए नजर आए
  • इसमें सबसे ज्यादा चालान हेलमेट और सीट बेल्ट को लेकर हुए
  • देहरादून में स्कूली वाहन भी रहे आरटीओ के निशाने पर

प्रदेश में जिस तरह यातायात के नियमों का उल्लंघन किया जाता है उसके पीछे लोगों की वाहन चलाते समय लापरवाही भी एक बड़ी वजह है। लेकिन इस मामले में केवल गलती आम लोगों की ही नहीं है बल्कि प्रशासन और सरकार भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। दरअसल शहरों मे वाहनों की बढ़ती संख्या के बीच सड़कों के हालात नहीं सुधरे जा सके इतना ही नहीं शहरों में पार्किंग की व्यवस्था न होने के कारण नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने को लोग मजबूर होते हैं और इस वजह से बड़ी संख्या में चालान काटे जाते हैं। वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली बताते हैं कि उत्तराखंड में साक्षरता दर बेहतर है यानी पढ़े-लिखे लोग राज्य में निवास करते हैं और लोगों को यातायात को लेकर अपनी जिम्मेदारियां का भी पता है लेकिन कई बार कुछ लोग लापरवाही करते हैं तो कई बार प्रशासन और सरकार के स्तर पर व्यवस्थाओं के कारण भी लोगों को मजबूरी में नियमों का उल्लंघन करना पड़ता है। ऐसे मामले खास तौर पर नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने को लेकर होते हैं।

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