PM मोदी का मिस्त्र दौरा, भारत के लिहाज़ से क्यों है अहम?

PM Modi's Visit to Egypt
PM Modi’s Visit to Egypt: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को छह दिन के लिए आधिकारिक विदेश यात्रा पर जाने वाले हैं.
नरेंद्र मोदी 20 से 25 जून के इस दौरे के दौरान वो तीन दिन अमेरिका में रहेंगे और वहां से लौटते हुए दो दिन मिस्त्र में रहेंगे.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी को अमेरिका के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी जिल बाइडन ने अमेरिकी दौरे पर आमंत्रित किया है.
इसलिए भारत के राष्ट्रपति नरेंद्र मोदी 20 जून को अमेरिकी दौरे पर रवाना होने वाले है.
जिसके बाद मिस्त्र के राष्ट्रपतिअब्दुल फतेह अल-सीसी के बुलावे पर वो काहिरा जाने वाले हैं.
सूत्रो के अनुसार हाल ही में जम्मू के श्रीनगर में जी 20 के वर्किंग ग्रुप में एक बैठक हुई थी जिसमें चीन, तुर्की और सऊदी अरब के साथ-साथ मिस्र ने भी हिस्सा नहीं लिया था.
इसके कुछ वक्त बाद अल-सीसी के भारत दौरे के कुछ महीनों बाद मोदी के मिस्त्र दौरे को लेकर चर्चा शुरु हो गई है.
अल-सीसी इस साल बतौर मुख्य अतिथि भारत के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए थे.
ये उनका भारत का तीसरा दौरा था. इससे पहले वो भारत-अफ्रीका सम्मेलन के लिए अक्तूबर 2015 में और द्विपक्षीय यात्रा पर 2016 में भारत आए थे.
भारत और मिस्त्र के बीच व्यापार कितना अहम मुद्दा

2023 के गणतंत्र दिवस के मौके पर जब मिस्त्र के राष्ट्रपति अल- सीसी भारत आए थे. उस दौरान दोनों मूल्कों के बीच दोस्ती बढ़ी और कई बातों पर आपसी सहमति बनी थी.
दोनों मुल्कों की सेनाओं ने इस साल जनवरी में पहली बार साझा सैन्य अभ्यास भी किया था.
भारत से मिस्र ने तेजस लड़ाकू विमान, रडार, सैन्य हेलिकॉप्टर और आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी.
आपसी सहमति से दोनों मुल्कों ने यह तय किया था कि आने वाले पांच सालों में दोनों के बीच मौजूदा 7 अरब डॉलर के व्यापार को बढ़ा कर 12 अरब डॉलर तक किया जाएगा.
मिस्र अपने यहां आईआईटी की तरह का एक भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान भी खोलना चाहता है.
दशकों तक दूसरों से हथियार खरीदने वाला भारत अब रक्षा क्षेत्र से जुड़े उपकरण और हथियार बना रहा है.
वो 42 मुल्कों को हथियार बेच रहा है और इस मामले में मिस्र को भी एक खरीदार के रूप में देखना चाहता है.
लेकिन दोनों मुल्कों के बीच नाता रक्षा सौदों, व्यापार और शिक्षा से आगे भी जाता है.
समाचार ऐजेंसियों के अनुसार, मिस्र के आपूर्ति मंत्री अली मोसेली ने कहा है कि भारत और मिस्र के बीच डॉलर के अलावा दूसरी मुद्रा में व्यापार करने को लेकर अभी बातचीत चल रही है.
मिस्त्र भारत के साथ खाद और गैस में भी व्यापार करने में दिलचस्प
भारत मिस्र के साथ खाद और गैस में भी व्यापार करने में दिलचस्पी रखता है और हो सकता है कि भारत आने वाले दिनों में उसके लिए अरबों डॉलर की क्रेडिट लाइन भी खोल दे.
एक रिपोर्ट के अनुसार मिस्र लंबे वक्त से विदेशी मुद्री की कमी से जूझ रहा है और हो सकता है कि मोदी के दौरे का दौरान इसकी घोषणा की जाए.
ये समझौता हुआ तो मिस्र भारतीय मुद्रा देकर भारत से चीज़ें खरीद सकता है और भारत मिस्र से जो सामान आयात करेगा उसका भुगतान चीज़ों में करेगा.
रिपोर्ट के अनुसार 2021 के बाद से चीन से आयात पर लगी पाबंदी के बाद भारत में खाद की क़ीमतें बढ़ गई हैं और कुछ राज्यों में इसकी कमी भी हुई है.
भारत मिस्र से पहले से अधिक खाद और गैस खरीदना चाहता है. वहीं मिस्र भारत से दूसरी चीज़ों के अलावा गेहूं खरीदना चाहता है लेकिन कइयों का मानना है कि हो सकता है कि गेंहू के निर्यात पर लगी पाबंदी के कारण भारत इसका निर्यात न कर सके.
हालांकि पाबंदी के बावजूद भारत ने मिस्र को मई 2022 में 61,500 टन गेहूं भेजा था.
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार मौजूदा वक्त में भारत की क़रीब 50 कंपनियों ने मिस्र में लगभग 3.15 अरब डॉलर तक का निवेश किया है. ये निवेश केमिकल, ऊर्जा, कपड़ा उद्योग के साथ-साथ एग्री बिज़नेस में है.
मिस्त्र बनना चाहता है ब्रिक्स के देशों का हिस्सा

मिस्र ने हाल में ब्रिक्स देशों के समूह (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का हिस्सा बनने के लिए गुज़ारिश की है.
रूसी राजदूत ने मिस्र के लिए बताया था कि “ब्रिक्स देशों की कोशिश है कि अधिक से अधिक आपसी व्यापार डॉलर की बजाय मुल्कों की अपनी मुद्रा में हो, या फिर इसके लिए एक ज्वाएंट करेंसी बनाई जाए. मिस्र इसमें काफी दिलचस्पी दिखा रहा है.”
हाल के दिनों में मिस्त्र ने अर्जेंटीना, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ईरान, कज़ाक़स्तान जैसे देशों और ब्रिक्स के मित्र देशों से बातचीत भी शुरू कर दी है.
एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज़ बनना चाहता है जिसमें एशिया, अफ्रीका के देशों के अलावा दक्षिण अमेरिका और मिस्र भी महत्वपूर्ण हिस्सा है.
साथ ही एशिया और यूरोप के बीच व्यापार के लिए अहम माने जाने वाले सुएज़ नहर पर मिस्र का नियंत्रण है और इस लिहाज़ से भी भारत के लिए आने वाले वक्त में व्यापार बढ़ाने में मिस्र अहम सहयोगी साबित हो सकता है.
भारत दौरे के दौरान अल-सीसी ने मिस्र में भारतीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए सुएज़ नहर इकोनॉमिक ज़ोन में भारतीय कंपनियों के लिए अलग जगह देने की संभावना की बात की थी.
भारत और मिस्त्र के बीच संबंध
18 अगस्त 1947 में राजनयिक संबंधों की शुरुआत.
दोनों गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्य.
1978 में भारत- मिस्त्र द्विपक्षीय व्यापार समझौता हुआ.
कोविड की दूसरी लहर के दौरान मिस्त्र ने भारत को मेडिकल सप्लाई भेजी.
रेमडेसिविर दवा की तीन लाख डोज़ भी दी.
मई 2022 में भारत ने मिस्त्र को 61,500 टन गेंहू भेजा.
अफ्रीकी महाद्वीप पर मिस्त्र भारत का अहम व्यापार सहयोगी.
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