MP के CM मोहन यादव के बेटे का सादगीपूर्ण विवाह

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पुत्र डॉ. अभिमन्यु यादव का विवाह 30 नवंबर को उज्जैन में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में संपन्न हुआ। यह आयोजन पूरे देश में चर्चा का विषय बना क्योंकि मुख्यमंत्री के बेटे की शादी किसी भव्य आयोजन या आलीशान होटल में न होकर सरलता और सामाजिक समरसता को दर्शाने वाले सामूहिक समारोह में हुई। इस फैसले को समाज में एक सकारात्मक और प्रेरक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

दूल्हा-दुल्हन: शिक्षा, संस्कार और सादगी का मेल

  • डॉ. अभिमन्यु यादव — एमबीबीएस और मास्टर ऑफ सर्जरी
  • डॉ. इशिता यादव — एमबीबीएस, किसान परिवार से, पिता: दिनेश पटेल यादव (खरगोन)

विवाह से पूर्व की रस्में मुख्यमंत्री निवास गीता कॉलोनी में की गईं। इस दौरान दोनों दूल्हा-दुल्हन बैलगाड़ी में बैठकर पारंपरिक रीति से माता पूजन करने पहुंचे। यह दृश्य सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।

सामूहिक विवाह सम्मेलन: संतों और नेताओं की उपस्थिति

उज्जैन में आयोजित इस सामूहिक विवाह में मुख्यमंत्री के बेटे सहित कुल 21 जोड़े ने सात फेरे लिए। कार्यक्रम में कई बड़े संत और राजनीतिक दिग्गज उपस्थित थे:

  • योगगुरु बाबा रामदेव
  • पंडित धीरेंद्र शास्त्री
  • केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
  • राज्यपाल मंगू भाई पटेल
  • मंत्री तुलसी सिलावट
  • अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह आयोजन डेस्टिनेशन वेडिंग जैसी अपव्ययी परंपराओं को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है और यह समाज में सादगी तथा एकता को प्रोत्साहित करता है।

CM मोहन यादव का संदेश

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के सिद्धांत—
“सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास”
—का वास्तविक रूप दिखाता है।
समाज के सभी वर्गों का एक साथ आना इस आयोजन को और भी खास बनाता है।

क्षिप्रा तट पर सम्पन्न हुआ अनोखा आयोजन

क्षिप्रा नदी के किनारे हुए इस सामूहिक विवाह समारोह में सभी नवविवाहित जोड़ों को उपस्थित संतों और अतिथियों ने आशीर्वाद दिया।
आयोजन की सादगी, उत्कृष्ट व्यवस्था, और सामाजिक संदेश ने इसे एक अनुकरणीय उदाहरण बना दिया।

निष्कर्ष

यह विवाह समारोह न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का सुंदर संगम था, बल्कि सादगी, सामाजिक एकता और जिम्मेदार विवाह परंपरा का आदर्श मॉडल भी।
CM मोहन यादव के इस निर्णय ने देशभर में एक नई चर्चा छेड़ दी है कि विवाह में दिखावा नहीं, संस्कार और सरलता ही असली पहचान है।

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