16 दिन से फंसे 41 मजदूर !

सिल्क्यारा टनल हादसे में राजनीति तेज़

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में 16 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए शासन प्रशासन समेत सभी एजेंसियां युद्ध स्तर पर जुटी हुई हैं। लेकिन, अब आने वाले तीन दिनों में सबसे बड़ी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। दअरसल मौसम विभाग ने उत्तरकाशी समेत पांच पर्वतीय जिलों के लिए बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट जारी किया है। साथ ही, 3500 मीटर की ऊंचाई पर बर्फबारी की संभावना जताई है। ऐसे में आने वाले दिन अब विपरीत परिस्थितियों और मौसम बिगड़ने की वजह से चैलेंज और ज्यादा बढ़ सकता है। बीते 12 नवंबर से उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में 41 श्रमिक अंदर फंसे हुए हैं। जिन्हें बाहर निकालने के लिए हर मोर्चे पर रेस्क्यू अभियान युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। हालांकि आए दिन रेस्क्यू अभियान में कुछ ना कुछ अड़चनें सामने आ रही है, जिस वजह से रेस्क्यू अभियान लंबा खिंच गया है। ऑपरेशन सिल्क्यारा में जुटी रेस्क्यू टीमों के लिए तीन दिन हर तरफ से बड़ी चुनौतियां लेकर आने वाली हैं। एक तरफ जहां रिस्क ऑपरेशन अंतिम चरण में है और आने वाले तीन दिन काफी अहम माने जा रहे हैं। इस बीच पहले से ही कड़ाके की ठंड का सामना कर रहे, रेस्क्यू अभियान में जुटी टीमों के लिए अब बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी से बढ़ाने वाली ठंड दूसरी चुनौतियों को भी सामने ला सकती हैं। वहीं इस मामले पर आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है

रेस्क्यू टीम ने शुरू किया अब एक साथ पांच प्लान पर काम

प्लान 01- सिलक्यारा की तरफ से आठ सौ एमएम के पाइप में फंसी ऑगर मशीन को बाहर निकाला जा रहा है। इसके बाद आगे की खुदाई मैनुवल तरीके से की जाएगी।

प्लान 02- बड़कोट छोर की ओर से टीएचडीसी ने चार ब्लॉस्ट कर 10.7 मीटर अंदर तक रास्ता बनाया गया है। यहां दो मीटर चौड़ाई का पाइप 483 मीटर तक बिछाया जाना है।

प्लान 03- SJVNL ने सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग कर एक मीटर चौड़ा पाइप 22 मीटर तक पहुंचाया जा चुका है। सुरंग के ऊपर से कुल 86 मीटर पाइप ड्रिल किया जाना है।

प्लान 04- RVNL भी सुरंग के ऊपर एक अन्य जगह पर वर्टिकल ड्रिलिंग कर रास्ता बनाएगी। इसके लिए मशीनें पहुंच गई हैं और अब मशीनों के लिए प्लेटफार्म बनाया जा रहा है।

प्लान 05- बड़कोट की तरफ से वर्टिकल ड्रिलिंग को ONGC ने फील्ड सर्वे पूरा किया है। वहीं, 3500 मीटर की ऊंचाई पर बर्फबारी की संभावना जताई है। इन परिस्थितियों में अगर बारिश होती है तो फिर रेस्क्यू अभियान में भी असर पडना तय है।

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