सीबीआई और ईडी की देशभर में ताबड़तोड़ कार्रवाई

उत्तराखंड के पूर्व IFS अधिकारी किशन चंद की 31करोड़  की संपत्ति अटैच की गई

सीबीआई और ईडी की देशभर में ताबड़तोड़ कार्रवाई चल रही है  । उत्तराखंड के पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद की 31 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की संपत्ति अटैच की गई है। जिसके बाद उत्तराखंड के अधिकारियों में भ्रष्ट्राचार करने को लेकर भय का माहौल है। वहीं राजनीतिक इसका श्रेया अपनी पार्टियों को दे रहे है. उत्तराखंड गठन होने के बाद कई अधिकारी और नेताओं पर सीबीआई और ई.डी. का पंजा चला है । सीबीआई ने पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक , सिंह रावत , पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत  और कांग्रेस के तत्कालीन विधायक मदन सिंह बिष्ट और निर्दलीय विधायक उमेश कुमार है ।साथ ही उत्तराखंड की पंतदीप पार्किंग और बीज घोटाले की जांच सहित कई घोटालों की जांच  कोर्ट द्वारा सीबीआई को दी गई है ।

सरकार भ्रष्ट नेताओं-अधिकारियो पर चला रही हंटर

वहीं उत्तराखंड का प्रसिद्ध रणवीर हत्याकांड में भी  सीबीआई को जांच सौपी गई थी जिसके बाद 18 पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई हुई थी। ईडी की अगर उत्तराखंड में चर्चा की जाए तो  बुधवार को पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद की  हरिद्वार जिले में एक स्कूल भवन और रूड़की जिले स्थित एक स्टोन क्रशर प्लांट को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अटैच किया गया है। इनका स्वामित्व आईएफओएस किशन चंद और उनके परिवार के सदस्यों के पास है। इन संपत्तियों की कुल कीमत 31.88 करोड़ रुपये है। वहीं यूकेएसएससी घोटाले के वक्त पूर्व भाजपा नेता हाकम सिंह और उसके साथियों की विभिन्न ठिकानों में एक करोड़ 14 लाख की राशि जब्त की गई थी । पूर्व आईएफएस किशनचंद का रिकॉर्ड पहले से ही भ्रष्ट रहा है लेकिन 2019 में आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में मुश्किलों में डाल दिया है।आईएफएस किशनचंद को राजनेताओं और साधु संतो का भी संरक्षण मिला है । किशनचंद की पत्नी का भी कांग्रेस से एक बड़ा सफर रहा है उन्होंने कांग्रेस से हरिद्वार से  जिला पंचायत अध्यक्ष  और 2012 में रानीपुर विधानसभा से कांग्रेस  की प्रत्याशी रही थी । जिसके बाद यह चर्चा आई की किशन चंद की पत्नी ने भाजपा का दामन 2022 विधानसभा में थाम लिया था ।6 महीने पूर्व ज्वालापुर के पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ ने भी अखिल भारतीय रविदास अखाड़े का संरक्षण किया था जिसमें महामंत्री की उपाधि किशन चंद को दी गई थी । लेकिन धामी सरकार के मुकदमा  लिखाने के बाद उन्हें वहा से बर्खास्त कर दिया गया ।

हमारे शासनकाल में अधिकारियों और नेताओं पर कार्रवाई हुई-कांग्रेस

उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के काल में भी राज्य गठन से अब तक अधिकारियों और नेताओं में सीबीआई का हंटर पड़ता रहा है । वहीं दोनो ही पार्टियां एक दूसरे के शासनकाल की तारीफ करती हुई नज़र आ रही है । कांग्रेस का दावा है की उनके शासनकाल में अधिकारियों और नेताओं का जायदा पर्दाफाश हुआ है। वहीं भाजपा इससे केंद्रीय और राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस की सरकार बता रहे है ।

आईएफएस किशन चंद के भ्रष्टाचार की लंबी कहानी प्रदेश के कई छोटे बड़े घोटाले की ओर उदाहरण देता है । वहीं किशनचंद के भ्रष्टाचार के हौसले के पीछे का कारण   राजनेतोओं का संरक्षण भी अहम था । लेकिन क्या मौजूदा केंद्र और राज्य सरकार ऐसे अफसरों और संरक्षण दे रहे नेताओं पर ईडी और सीबीआई की नकल कसते और  बिना पक्षपात करते हुए कारवाई करेगी।

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