सावन मास जिसका इतिहास, आस्था और शिव की उपासना का , महापर्व है

“सावन, यानि सावन मास जिसका इतिहास, आस्था और शिव की उपासना का , महापर्व है
सावन का संबंध सीधा जुड़ा है एक महाकाव्य घटना – समुद्र मंथन से।
जब देवताओं और असुरों ने सागर मंथन किया,
तो अमृत से पहले निकला एक विष — हलाहल,
इतना जहरीला कि पूरी सृष्टि विनाश के कगार पर थी।
तब सृष्टि को बचाने के लिए बोले ने विष को अपने कंठ में रखा था इससे उनका कंठ नीला हो गया और वे कहलाए — नीलकंठ।
मान्यता है कि यह घटना श्रावण मास में ही घटित हुई थी।
इसलिए यह पूरा महीना भगवान शिव की कृपा, त्याग और रक्षा का प्रतीक माना गया।
इस माह को पवित्रता, उपवास और शिव–पूजन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
सावन में हर सोमवार को सावन सोमवारी व्रत रखा जाता है।
भक्त शिवलिंग पर गंगा जल, बेलपत्र, दूध, धतूरा चढ़ाते हैं,
यह मानकर कि इससे भगवान शिव के कंठ की विष-ज्वाला शांत होती है।
इस महीने शिव के भक्त वैराग्य, संयम और साधना का पालन करते हैं –
जो स्वयं शिव के गुण हैं।
- भगवान शिव को सावन का महीना बहुत प्रिय है
- क्योंकि यह त्याग, भक्ति और संयम का महीना है।
शिव खुद तपस्वी हैं, सन्यासी हैं – और सावन का हर भक्त उन्हीं के गुणों का अनुसरण करता है। - “सावन वो समय है… जब हर बूंद में ‘हर हर महादेव’ गूंजता है।
जब हर शिवालय गंगा जल से गूंज उठता है।
जब हर दिल कह उठता है – ‘भोलेनाथ शंकर की जय हो।'” - 🌧️
“तो आइए, इस सावन – सिर्फ जल नहीं चढ़ाएं…
अपना अहंकार, क्रोध और विकार भी शिव को अर्पित करें।
क्योंकि यही है सावन का सच्चा अर्थ –
अपने अंदर की शुद्धि, और शिव के प्रति सच्ची भक्ति।” - 🔔
“हर हर महादेव!”

(This article is written by Vanshika Gupta, Intern at News World India. )

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