विपक्षी गठबंधन में दिख रहा नाम बड़े, दर्शन छोटे

धरी की धरी रह गई विपक्षी दलों की गठबंधन?

अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने है. उससे पहले अगले महीने 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है. लेकिन ऐसा लगता है की विपक्षी पार्टियों की बनाई गई I.N.D.I.A गठबंधन अधर में लटकी पड़ी है. हम ऐसा इसलिए कह रहे है की 3 मीटिंग होने के बावजूद भी अभी तक ना ही I.N.D.I.A के तरफ से पीएम पद की दावेदारी पेश की गई है ना ही I.N.D.I.A का कोई LOGO आया है और ना ही I.N.D.I.A का कोई दफ्तर चुना गया है.और तो और ना ही अभी तक कोई  साझा रैली का आयोजन हुआ है. कहा पटना से शुरु विपक्षी गठबंधन ये कह रहा था की ये गठबंधन एक ऐजेंडा को लेकर खड़ा हुआ है वो है बीजेपी का खत्मा. लेकिन अभी तक जो भी नतीजे आए है वो तो देखने से यहीं लगता है की इस गठबंधन को लेकर पार्टियां अभी भी सोच विचार में है.

गठबंधन की पार्टियों में नजर आ रही है खटास

कहा इस गठबंधन में शामिल नेता एक साथ चलते हुए बीजेपी के खिलाफ लड़ने की बात कर रहे थे. वहीं दूसरी तरफ जो इन पार्टियों के ताजा हालात है वो खूद एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे है. अभी कुछ ही दिन पहले जहां एक तरफ कांग्रेस और सपा में तानातानी देखने को मिला. यहां तक अखिलेश ने तो कांग्रेस के नेताओं को चिरकुट तक कह दिया था. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और आप भी इससे अछूत नहीं है. कुछ ही दिन पहले कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था की 10 साल पहले रामलीला मैदान में तमाम ठग इक्ठ्ठा हुए थे. वहीं ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने मीटिंग के दौरान ही सभी पार्टियों से आग्रह भी किया था की सिंतबर से पहले सीटों का बंटवारा पूरा कर लिया जाए. लेकिन अब तो सितंबर से अक्टूबर और अक्टूबर से नवंबर आने को है .ना तो कोई सीटों का बंटवारा हुआ ना ही कोई दफ्तर बना. कुल मिला कर कह सकते है की विपक्षी दलों ने सिर्फ फिलहाल गठबंधन ही बनाया है.

कांग्रेस के रवैये से पार्टियां नाराज

जब से विपक्षी गठबंधन बना है तब से कहा जा रहा है की इन सब में से कांग्रेस पार्टी सबसे ज्यादा मजबूत पार्टी है. शायद यहीं वजह है की कांग्रेस पार्टी ही वो वजह बन रही है जिसकी वजह से गठबंधन में दरार देखने को मिल रही है. बता दें की वाम दल से लेकर सभी क्षेत्रिय पार्टी मुंबई में हुई तीसरी मीटिंग के बाद कयास लगा रही थी की सभी एक साथ मिल कर चुनाव लड़ेगे. लेकिन जो फिलहाल विधानसभा के चुनाव से पहले जो समीकरण दिखाई पड़ रहा है वो कुछ और है. क्योंकि पांचो राज्यों में होने वाले विधानसभा को लेकर कहीं भी गठबंधन का जिक्र तक नहीं किया जा रहा था. सुत्रों की माने तो खबर तो ये भी आई थी की सभी पार्टियां एक साथ मिल कर भोपाल में रैली का आयोजन करने वाले थे. लेकिन कांग्रेस  की वजह से इस रैली को कैंसल करना पड़ा क्योंकि एमपी के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने इसके लिए हामी नहीं भरी. क्योंकि कमलनाथ का कहना था अगर ऐसा होता है तो अलग-अलग पार्टियों के एक साथ उतरने से चुनाव का मैदान स्थानीय से राष्ट्रीय हो जाता. तो ऐसे मे क्या कहा जा सकता है की कांग्रेस ही विपक्षी गठबंधन में खटास की वजह बन रही है.

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