लाल किले पर हुए हमले: इतिहास, वर्तमान और सवाल

10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार बम विस्फोट ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस धमाके में कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस जांच जारी है और जल्द ही नतीजे सामने आएंगे।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाल किले ने अपने 400 साल के इतिहास में कितने हमले झेले हैं? कौन-कौन से आक्रमणकारी यहां आए और क्या-क्या लूटकर ले गए?
इस लेख में हम लाल किले के इतिहास, हमलों और उसकी वर्तमान स्थिति पर एक नज़र डालते हैं।
लाल किले का संक्षिप्त इतिहास
दिल्ली के मध्य में स्थित लाल किला सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत के इतिहास और आज़ादी का जिवंत दस्तावेज़ है।
1638–1648 के बीच शाहजहां द्वारा बनवाया गया यह किला लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और मुगल, फारसी व भारतीय वास्तुकला का शानदार संगम है।
1739 — नादिर शाह का हमला
लाल किले पर पहला बड़ा हमला 1739 में हुआ, जब फारस के शासक नादिर शाह ने दिल्ली पर धावा बोला।
इस हमले में—
- किले की अपार संपत्ति लूट ली गई
- मयूर सिंहासन और कोहिनूर हीरा छीन लिया गया
- दिल्ली का वैभव नष्ट हो गया
यह हमला मुगल साम्राज्य की अंतिम शुरुआत माना जाता है।
मराठों और अफगानों का कब्ज़ा
नादिर शाह के बाद दिल्ली बार-बार सत्ता संघर्ष में फंसती रही।
मराठों का कब्ज़ा (1750 का दशक)
उन्होंने शाह आलम द्वितीय को नाममात्र का सम्राट बनाए रखा।
अफगान हमलावर अहमद शाह अब्दाली (1761)
अब्दाली ने भी दिल्ली में व्यापक लूटपाट की।
इन घटनाओं में लाल किला लगातार राजनीतिक मोहरे की तरह उपयोग होता रहा।
अंग्रेजों का आक्रमण
1800 के दशक में अंग्रेज दिल्ली पर पूरी तरह हावी हो चुके थे।
उन्होंने—
- लाल किले का नियंत्रण मराठों से ले लिया
- बादशाह को प्रतीकात्मक रूप से वहां रहने दिया
- किले को सैन्य छावनी में बदल दिया
1857 की क्रांति — लाल किला बना आज़ादी का प्रतीक
1857 का विद्रोह लाल किले के लिए निर्णायक मोड़ था।
- स्वतंत्रता सेनानियों ने बहादुर शाह ज़फर को अपना नेता घोषित किया
- किले में आज़ादी का दरबार लगा
- विद्रोह दबाने के बाद अंग्रेजों ने किले पर फिर कब्ज़ा कर लिया
- बहादुर शाह ज़फर को रंगून भेज दिया
इसके बाद किला ब्रिटिश सेना का मुख्य ठिकाना बन गया।
1947 — स्वतंत्रता और लाल किले की प्राचीर
15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तिरंगा फहराया।
तब से हर साल प्रधानमंत्री यहां से देश को संबोधित करते हैं।
लाल किला आज भारत की आज़ादी का सबसे बड़ा प्रतीक है।
आधुनिक दौर के हमले
आजादी के बाद भी लाल किला आतंकी घटनाओं का निशाना रहा है।
2000 — लश्कर-ए-तैयबा का हमला
इस हमले में भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए।
उसके बाद सुरक्षा को बेहद सख्त कर दिया गया।
समय-समय पर धमकी भरे संदेश, हमलों की आशंका और आसपास हुए विस्फोट जैसी घटनाएं लगातार इसकी सुरक्षा को चुनौती देती रही हैं।
लाल किले की सांस्कृतिक विरासत
लाल किला सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि—
- मुगल कला
- संगीत
- पहनावे
- वास्तुकला
- इतिहास
का केंद्र रहा है।
दीवान-ए-खास, रंग महल, मोती मस्जिद जैसी संरचनाएं आज भी मुगल काल की सुंदरता की गवाह हैं।
संरक्षण की चुनौतियां
1947 से किला ASI के संरक्षण में है।
लेकिन—
- प्रदूषण
- जनसंख्या दबाव
- अनियंत्रित पर्यटन
इसकी दीवारों और संरचना को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं।
हाल के वर्षों में डिजिटल संग्रहालय, लाइटिंग और दीवारों की मरम्मत का काम किया गया है, लेकिन इसका पुराना वैभव अभी भी पूरी तरह बहाल नहीं हो पाया है।
आज की आवश्यकता: इतिहास की रक्षा
लाल किला हमें याद दिलाता है कि—
“सत्ता बदलती रहती है, लेकिन संस्कृति और इतिहास अमर रहते हैं।”
आज जब हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, यह जरूरी है कि हम लाल किले जैसे ऐतिहासिक धरोहरों को सिर्फ पर्यटक स्थल की तरह न देखें, बल्कि एक जीवित इतिहास के रूप में समझें।
निष्कर्ष
लाल किला भारत के गौरव और घावों—दोनों का प्रतीक है।
इसने नादिर शाह का हमला, अंग्रेजों का शासन और आज़ादी का सूरज देखा है।
और आज भी इसकी दीवारें हमें याद दिलाती हैं—
विरासत की रक्षा करना, राष्ट्र की रक्षा करने जितना ही महत्वपूर्ण है।

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