यूपी में नई जोड़ी आज़म और ओवैसी

अखिलेश को आज़म का फाइनल गुडबाय


“क्या 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुसलमान वोटरों की दिशा और दशा बदलने जा रही है?

ये ऐसे सवाल हैं जो इन दिनों यूपी के मुसलमान बाहुल्य इलाकों में चर्चा में हैं लोग इस बात की अटकलें लगा रहें हैं कि क्या आजम खान जेल से रिहाई के बाद क्या करने वाले हैं खबर ये हैं की अखिलेश से आजम की दूरी काफी बढ़ गई है और ऐसे में अगर ओवैसी से गठबंधन कर आजम खान अपनी सियासी बिसात बिछाते हैं तो ये 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में कई दलों की नींद उड़ा सकता है खआसकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए ये जोड़ी काफी घातक साबित हो सकती है. हम आपको ये भी बताएंगे की आजम खान की रिहाई का रोड़ मैप कैसे तैयार हो चुका है लेकिन उससे पहले जान लीजिए की 2027 के यूपी चुनाव में आजम खान कैसे गेम चेंजर बन सकते हैं. चुनावी पंडितों की माने तो अगर आजम खान और ओवैसी की गठबंधन उत्तरप्रदेश विधानसबा चुनाव से पहले हो जाता है तो ये चुनावी अखाड़े में नया दाव होगा


क्या आजम खान और असदुद्दीन ओवैसी की जोड़ी यूपी की सियासत में बम फोड़ने जा रही है?
और सबसे बड़ा सवाल — अखिलेश यादव के सबसे पुराने साथी आजम खान अब उनके सबसे बड़े सियासी दुश्मन बनने जा रहे हैं?”


“रामपुर से लेकर मुरादाबाद तक, सहारनपुर से बिजनौर तक — एक ही सवाल गूंज रहा है:
आजम खान अब किसके साथ होंगे?’
जेल में बंद आजम खान की रिहाई की घड़ी नज़दीक है।
और यूपी के मुसलमान इलाकों में सुगबुगाहट है कि क्या आजम अब ओवैसी के साथ मिलकर एक नया सियासी धमाका करेंगे?”


“ख़बरें ये भी हैं कि अखिलेश यादव और आजम खान के रिश्तों में दरारें अब दरख़्त बन चुकी हैं।
आजम खान अखिलेश पर खुलकर न सही, इशारों में तल्ख़ हो चुके हैं।
पिछले 5 सालों में जिस तरह समाजवादी पार्टी ने आजम परिवार को ‘पॉलिटिकल ऑर्फन’ बना दिया, उसका हिसाब किताब अब शुरू होने वाला है।”


“अगर आजम और ओवैसी साथ आते हैं, तो यूपी के 60 से ज्यादा मुस्लिम बहुल सीटों पर समाजवादी पार्टी का गणित धराशायी हो सकता है।
क्योंकि लगभग 19-20% मुस्लिम आबादी अब तक सपा, कांग्रेस और बसपा के बीच बंटी थी,
लेकिन अब अगर ये वोट एकमुश्त आजम-ओवैसी गठजोड़ के साथ जाते हैं, तो समाजवादी पार्टी के ‘सपनों में आग’ लग सकती है।”


“यहां तक कि बीजेपी को भी इसका फायदा मिल सकता है।
मुस्लिम वोटों के बंटवारे से सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले होंगे, और ऐसे में बीजेपी को सीधे फायदा मिलेगा।
साथ ही हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण बीजेपी के पक्ष में और तेज हो सकता है।”


“अब बात करते हैं आजम खान की रिहाई की।
रामपुर में दो मामलों — क्वालिटी बार प्रकरण और गवाह धमकाने के केस — में सुनवाई चल रही है।

रामपुर में आजम खान से जुड़े दो अलग-अलग मामलों में 15 मई को सुनवाई हुई क्वालिटी बार प्रकरण में बहस पूरी गवाह धमकाने के मामले में सुनवाई जारी रहेगी क्वालिटी बार प्रकरण में 17 मई को जमानत पर फैसला परिवार की बढ़ी थी उम्मीद क्वालिटी बार केस नवंबर 2019 को तक के राजस्व नीरीक्षक अनंगराज सिंह ने दर्ज कराया था गवाह धमकाने का मामला अबरार हुसैन की शिकायत पर दर्ज किया गया था अबरार हुसैन ने 17 अगस्त 2022 को थाना गंज में मुकदमा दर्ज कराया था अबरार हुसैन उर्फ नन्हें के मुताबिक घर में घुसकर पत्नी औप उन्हें धमकाया था गवाह वाले मामले की सुनवाई जज शोभित बंसल की कोर्ट में चल रही है आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम वरील और रिश्तेदार WAIT ANF WATCH  स्तिथी में हैं


“रामपुर में आजम के समर्थकों की निगाहें कोर्ट पर हैं, लेकिन दिल सियासत पर।
कई समर्थकों का कहना है — अब बस बहुत हुआ! आजम साहब को चाहिए कि वो ओवैसी के साथ मिलें और मुस्लिमों की नई आवाज़ बनें।


“अब सवाल सिर्फ इतना है — क्या आजम खान जेल से निकलते ही अखिलेश का पत्ता काटेंगे?
क्या ओवैसी और आजम का गठबंधन यूपी की राजनीति में नया भूचाल लाएगा?
और क्या ये मुस्लिम वोटर को एकजुट करने का आखिरी और निर्णायक दांव होगा?
जवाब अभी हवा में है — लेकिन 2027 की बिसात पर चालें तेज हो चुकी हैं।”

“क्या 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुसलमान वोटरों की दिशा और दशा बदलने जा रही है?

ये ऐसे सवाल हैं जो इन दिनों यूपी के मुसलमान बाहुल्य इलाकों में चर्चा में हैं लोग इस बात की अटकलें लगा रहें हैं कि क्या आजम खान जेल से रिहाई के बाद क्या करने वाले हैं खबर ये हैं की अखिलेश से आजम की दूरी काफी बढ़ गई है और ऐसे में अगर ओवैसी से गठबंधन कर आजम खान अपनी सियासी बिसात बिछाते हैं तो ये 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में कई दलों की नींद उड़ा सकता है खआसकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए ये जोड़ी काफी घातक साबित हो सकती है. हम आपको ये भी बताएंगे की आजम खान की रिहाई का रोड़ मैप कैसे तैयार हो चुका है लेकिन उससे पहले जान लीजिए की 2027 के यूपी चुनाव में आजम खान कैसे गेम चेंजर बन सकते हैं. चुनावी पंडितों की माने तो अगर आजम खान और ओवैसी की गठबंधन उत्तरप्रदेश विधानसबा चुनाव से पहले हो जाता है तो ये चुनावी अखाड़े में नया दाव होगा


क्या आजम खान और असदुद्दीन ओवैसी की जोड़ी यूपी की सियासत में बम फोड़ने जा रही है?
और सबसे बड़ा सवाल — अखिलेश यादव के सबसे पुराने साथी आजम खान अब उनके सबसे बड़े सियासी दुश्मन बनने जा रहे हैं?”


“रामपुर से लेकर मुरादाबाद तक, सहारनपुर से बिजनौर तक — एक ही सवाल गूंज रहा है:
आजम खान अब किसके साथ होंगे?’
जेल में बंद आजम खान की रिहाई की घड़ी नज़दीक है।
और यूपी के मुसलमान इलाकों में सुगबुगाहट है कि क्या आजम अब ओवैसी के साथ मिलकर एक नया सियासी धमाका करेंगे?”


“ख़बरें ये भी हैं कि अखिलेश यादव और आजम खान के रिश्तों में दरारें अब दरख़्त बन चुकी हैं।
आजम खान अखिलेश पर खुलकर न सही, इशारों में तल्ख़ हो चुके हैं।
पिछले 5 सालों में जिस तरह समाजवादी पार्टी ने आजम परिवार को ‘पॉलिटिकल ऑर्फन’ बना दिया, उसका हिसाब किताब अब शुरू होने वाला है।”


“अगर आजम और ओवैसी साथ आते हैं, तो यूपी के 60 से ज्यादा मुस्लिम बहुल सीटों पर समाजवादी पार्टी का गणित धराशायी हो सकता है।
क्योंकि लगभग 19-20% मुस्लिम आबादी अब तक सपा, कांग्रेस और बसपा के बीच बंटी थी,
लेकिन अब अगर ये वोट एकमुश्त आजम-ओवैसी गठजोड़ के साथ जाते हैं, तो समाजवादी पार्टी के ‘सपनों में आग’ लग सकती है।”


“यहां तक कि बीजेपी को भी इसका फायदा मिल सकता है।
मुस्लिम वोटों के बंटवारे से सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले होंगे, और ऐसे में बीजेपी को सीधे फायदा मिलेगा।
साथ ही हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण बीजेपी के पक्ष में और तेज हो सकता है।”


“अब बात करते हैं आजम खान की रिहाई की।
रामपुर में दो मामलों — क्वालिटी बार प्रकरण और गवाह धमकाने के केस — में सुनवाई चल रही है।

रामपुर में आजम खान से जुड़े दो अलग-अलग मामलों में 15 मई को सुनवाई हुई क्वालिटी बार प्रकरण में बहस पूरी गवाह धमकाने के मामले में सुनवाई जारी रहेगी क्वालिटी बार प्रकरण में 17 मई को जमानत पर फैसला परिवार की बढ़ी थी उम्मीद क्वालिटी बार केस नवंबर 2019 को तक के राजस्व नीरीक्षक अनंगराज सिंह ने दर्ज कराया था गवाह धमकाने का मामला अबरार हुसैन की शिकायत पर दर्ज किया गया था अबरार हुसैन ने 17 अगस्त 2022 को थाना गंज में मुकदमा दर्ज कराया था अबरार हुसैन उर्फ नन्हें के मुताबिक घर में घुसकर पत्नी औप उन्हें धमकाया था गवाह वाले मामले की सुनवाई जज शोभित बंसल की कोर्ट में चल रही है आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम वरील और रिश्तेदार WAIT ANF WATCH  स्तिथी में हैं


“रामपुर में आजम के समर्थकों की निगाहें कोर्ट पर हैं, लेकिन दिल सियासत पर।
कई समर्थकों का कहना है — अब बस बहुत हुआ! आजम साहब को चाहिए कि वो ओवैसी के साथ मिलें और मुस्लिमों की नई आवाज़ बनें।


“अब सवाल सिर्फ इतना है — क्या आजम खान जेल से निकलते ही अखिलेश का पत्ता काटेंगे?
क्या ओवैसी और आजम का गठबंधन यूपी की राजनीति में नया भूचाल लाएगा?
और क्या ये मुस्लिम वोटर को एकजुट करने का आखिरी और निर्णायक दांव होगा?
जवाब अभी हवा में है — लेकिन 2027 की बिसात पर चालें तेज हो चुकी हैं।”

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