मेटा, एक्स और लिंक्डइन ने इटली के €1 बिलियन VAT बिल को ठुकराया — और यह पूरे यूरोप में डिजिटल टैक्स को बदल सकता है

इटली की सरकार और दुनिया की तीन बड़ी टेक कंपनियाँ — मेटा, एक्स (पहले ट्विटर) और लिंक्डइन — एक बड़े टैक्स विवाद में आमने-सामने हैं।
मामला सिर्फ टैक्स का नहीं, बल्कि एक बड़े सवाल का है:
क्या हमारा पर्सनल डेटा पैसे की तरह टैक्स के लायक है?

इटली का जवाब है – हाँ।
और अगर कोर्ट ने भी यही माना, तो डिजिटल दुनिया का पूरा बिज़नेस मॉडल हिल सकता है।

क्या कहती है इटली की टैक्स अथॉरिटी?

इटली की एजेंसी Agenzia delle Entrate का मानना है कि:

“जब लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम या लिंक्डइन पर ‘फ्री’ में साइन अप करते हैं,
तब वे कोई पैसे नहीं देते, लेकिन अपना क़ीमती डेटा जरूर देते हैं।

यही डेटा कंपनियों को टार्गेटेड विज्ञापन दिखाने में मदद करता है — और यहीं से उनकी अरबों डॉलर की कमाई होती है।
इटली का कहना है कि जब कोई चीज़ इतनी “वैल्यू” रखती है, तो उस पर VAT (Value Added Tax) लगना चाहिए।

कितना टैक्स मांगा गया है?

इटली ने मार्च 2025 में इन कंपनियों से भारी टैक्स की मांग की:

  • मेटा से: €887.6 मिलियन
  • लिंक्डइन से: €140 मिलियन
  • एक्स से: €12.5 मिलियन

तीनों कंपनियों ने जुलाई 2025 तक जवाब दिया और अब टैक्स कोर्ट में अपील दायर कर दी है।

अगर इटली जीत गया तो क्या होगा?

अगर इटली का तर्क कोर्ट में मान्य हो गया, तो बात सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहेगी।
फिर इन सभी पर VAT लग सकता है:

  • वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप्स (जैसे Netflix, Spotify)
  • शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स (Amazon आदि)
  • ट्रैवल और न्यूज़ पोर्टल्स
  • कोई भी वेबसाइट जहां यूज़र डेटा के बदले सेवा दी जाती है

चूंकि यूरोपीय यूनियन में VAT नियम आपस में जुड़े हुए हैं, इसलिए इटली की जीत पूरे यूरोप में डिजिटल टैक्सिंग का तरीका बदल सकती है।

बिग टेक का रिएक्शन

  • मेटा ने कहा: “हम पूरी तरह असहमत हैं। यहां कोई आर्थिक लेन-देन नहीं होता, इसलिए VAT लगाना गलत है।”
  • एक्स और लिंक्डइन ने अभी तक सार्वजनिक बयान नहीं दिया, लेकिन तीनों कंपनियाँ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।

भारत के लिए क्यों है यह मामला अहम?

भारत पहले से ही विदेशी डिजिटल कंपनियों पर GST लगाता है। साथ ही, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 अब लागू है।

ऐसे में अगर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट यह मान लेती है कि डेटा = वैल्यू, तो भारत की टैक्स और डेटा पॉलिसी पर भी इसका असर पड़ेगा।

तो क्या डेटा भी एक करेंसी है?

यह विवाद अब एक बड़े मोड़ पर खड़ा है। अगर कोर्ट यह मान लेता है कि:

“डेटा देना भी एक आर्थिक लेन-देन है”

तो इससे…

  • फ्री ऐप्स का कॉन्सेप्ट बदल जाएगा
  • डिजिटल बिज़नेस मॉडल में बड़ा बदलाव आएगा
  • प्राइवेसी और कंज्यूमर राइट्स की परिभाषा बदल जाएगी

फैसला इटली में, निगाहें पूरी दुनिया की

यह टैक्स विवाद अब एक वैश्विक बहस बन चुका है।
यह सिर्फ मेटा या एक्स की लड़ाई नहीं, बल्कि यह तय करेगा कि आपका डेटा वाकई में “मुफ़्त” है या नहीं

(This article is written by Srishti Gupta, Intern at News World India.)

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