मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर पर सहमति बनी, रुस की हुई बल्ले-बल्ले
भारत ने G-20 की मेजबानी की जिसका आयोजन दिल्ली में 8 से 10 सितंबर तक हुआ. इस शिखर सम्मेलन में कई फैसले लिए गए. इसी कड़ी में मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर पर भी सहमति बनी. जिसके बाद भारत ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. हालांकि दुनिया भर से इस समझौते को लेकर बहुत सारी प्रतिक्रियाएं भी आईं. लेकिन सबकी नजर तब थम गई जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को रूस के लिए फायदेमंद बताया और इसका स्वागत भी किया कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो व्लोदिवोस्तोक में आयोजित आठवें ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में पुतिन ने कहा कि उन्हें भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में ऐसा कुछ भी नहीं दिखता, जो रूस के लिए बाधा बन सके. इसलिए इस परियोजना से रूस को फायद मिलेगा. दूसरी तरफ पुतिन ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि अमेरिका इसमें शामिल हुआ इसका क्या मतलब था ये उनकी समजा से परे हैं इसमें शामिल होने का क्या मतलब था, यह मेरी समझ से परे है.
इसके बाद पुतिन ने कहा की IMEC उनके देश को लॉजिस्टिक्स विकसित करने में मदद करेगा. क्योकि इस परियोजना पर कई सालों से चर्चा चल रही थी. उनका कहना था की इस गलियारे के साथ जो कॉर्गो जुड़ा है वो वास्तव में, रूस की उत्तर-दक्षिण परियोजना का एक अतिरिक्त हिस्सा है. हमारे पास यहां कुछ भी नहीं है, जो हमारे लिए बाधा बन सकता है.
लेकिन इसके विरोध में तुर्किए
रूस तो इस कॉरिडोर का स्वागत कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ तुर्किए इस कॉरिडोर के विरोध में आ गया है. तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा कि उन्हें पता है कि कई देश ट्रेड कॉरिडोर बनाकर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन तुर्किए के बिना कोई कॉरिडोर नहीं है.
अमेरिका ने इसे कहा-बड़ी कामयाबी
बता दें की अमेरिका भी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को बड़ी कामयाबी ते चौर पर देख रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि इससे यूरोप से एशिया तक संपर्क के एक नए युग की शुरुआत होगी, जो दोनों महाद्वीपों में आर्थिक वृद्धि, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा.
G-20 शिखर सम्मलेन में लिया गया ऐतिहासिक फैसला
जी- 20 शिखर सम्मलेन के दौरान भारत, अमेरिका, सऊदी अरब और यूरोपियन यूनियन ने सहमति के साथ इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की. इसमें शामिल देशों ने एक एमओयू पर साइन किया है. इस एमओयू साथ ही मिडिल ईस्ट कॉरिडोर का ऐलान किया गया है.
इंडिया-मिडिल आखिर है क्या ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर?
भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोपीय देशों के बीच हुआ ये समझौता असल में एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट के तहत, बंदरगाहों से लेकर रेल नेटवर्क तक तैयार किया जाएगा. जिससे सभी देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी. इससे भारत की एक अलग पहचान भी बनेगी
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