महागठबंधन में सीट बंटवारे पर खींचतान

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन (RJD–Congress–Left) में सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर खींचतान बढ़ गई है।

  • कांग्रेस लोकसभा चुनाव के बाद अपनी स्थिति मजबूत मानकर ज्यादा हिस्सेदारी चाहती है।
  • वहीं आरजेडी खुद को सबसे बड़ा दल मानते हुए सीएम फेस और सीटों पर पकड़ बनाए रखना चाहती है।

इस टकराव से गठबंधन के भीतर दरार का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन फिलहाल शीर्ष नेतृत्व समाधान की कोशिश कर रहा है।

कांग्रेस की आक्रामक दावेदारी

  • 2020 में कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं।
  • ज्यादातर सीटें कमजोर होने की वजह से स्ट्राइक रेट खराब रहा।
  • इस बार कांग्रेस ने:
    • बेहतर सीट बंटवारे की मांग की है।
    • उप मुख्यमंत्री पद की शर्त भी रखी है।

कांग्रेस साफ करना चाहती है कि अब वह सिर्फ आरजेडी की सहायक भूमिका में नहीं रहेगी।

आरजेडी का कड़ा रुख

  • तेजस्वी यादव ने घोषणा की कि आरजेडी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
  • उन्होंने साफ किया कि गठबंधन का सबसे बड़ा दल आरजेडी ही है।
  • कांग्रेस के 2020 के खराब प्रदर्शन ने आरजेडी को और सतर्क बना दिया है।

तेजस्वी का संदेश: कांग्रेस को हिस्सेदारी मिलेगी, लेकिन आरजेडी अपनी स्थिति कमजोर नहीं होने देगा।

राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का असर

  • राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने कांग्रेस को नया आत्मविश्वास दिया है।
  • यात्रा में:
    • महागठबंधन के सभी बड़े नेता शामिल रहे।
    • तेजस्वी यादव लगातार 16 दिन राहुल गांधी के साथ दिखे।
  • यात्रा में उमड़ी भीड़ और उत्साह ने कांग्रेस को गठबंधन में और आक्रामक होने की ताकत दी।

कांग्रेस अब सीट बंटवारे और सत्ता साझेदारी पर दबाव बना रही है।

गठबंधन में संभावित दरार

  • वाम दल और छोटे दल भी अपनी सीटों की मांग कर रहे हैं।
  • सभी को संतुष्ट करना कठिन चुनौती होगा।
  • अंतिम फैसला राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर ही निर्भर है।

दोनों नेताओं को पता है कि एकजुटता ही एनडीए को चुनौती दे सकती है, लेकिन कांग्रेस की आक्रामक रणनीति से गठबंधन कमजोर पड़ने का खतरा भी बढ़ रहा है।

निष्कर्ष

  • कांग्रेस बराबरी की हिस्सेदारी चाहती है।
  • आरजेडी अपनी पकड़ ढीली नहीं छोड़ना चाहता।
  • छोटे दलों की मांगें स्थिति को और जटिल बना रही हैं।

आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि:
क्या कांग्रेस और आरजेडी आपसी सहमति से समाधान निकाल पाएंगे,
या फिर यह आंतरिक खींचतान महागठबंधन को तोड़ने की तरफ ले जाएगी।

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