मध्य प्रदेश में कैबिनेट फेरबदल के संकेत तेज

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। मोहन यादव सरकार में जल्द बड़े फेरबदल की संभावनाएँ मजबूत हो चुकी हैं। सरकार के दो साल पूरे होने से पहले सभी विभागों की विस्तृत समीक्षा पूरी कर ली गई है, और इसी पर आधारित मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट यह तय करेगी कि कौन मंत्री अपनी कुर्सी बचा पाएगा और कौन बाहर होगा।
बीजेपी अगले तीन साल ‘इलेक्शन मोड’ में
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कैबिनेट में बदलाव के बाद
बीजेपी संगठन और सरकार अगले तीन साल पूरी तरह चुनावी मोड में काम करेगी।
पार्टी मुख्यालय में शुरू हुआ ‘मिनिस्टर कॉर्नर’ और वल्लभ भवन में लगातार बैठकें इसी रणनीति का इशारा मानी जा रही हैं।
खजुराहो कैबिनेट मीटिंग की तस्वीर से बढ़ी अटकलें
खजुराहो में हुई कैबिनेट बैठक की ग्रुप फोटो में दो मंत्री नज़र नहीं आए, और इसके बाद राजनीतिक गलियारों में सवाल उठना शुरू हो गया—
क्या यह आगामी फेरबदल का संकेत है?
विशेषज्ञों का कहना है कि पार्टी 2028 के चुनाव से पहले परफॉर्मेंस बेस्ड फेरबदल कर सकती है ताकि संगठन और सरकार दोनों मजबूत बन सकें।
परफॉर्मेंस रिपोर्ट: 2 साल के काम पर होगी कसौटी
समीक्षा केवल योजनाओं की प्रगति के लिए नहीं थी।
इसके अहम बिंदु थे:
- विभागीय लक्ष्यों की पूर्ति
- संकल्प पत्र के वादों का क्रियान्वयन
- विभागों की कमियाँ
- मंत्री की सक्रियता और समन्वय
सूत्रों के अनुसार, कमज़ोर प्रदर्शन वाले मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है और उनकी जगह ऊर्जावान या सीनियर विधायकों को मौका मिल सकता है।
कौन आ सकता है, कौन जा सकता है?
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं:
“मध्य प्रदेश में दिग्गज नेताओं की लंबी फौज है। मंत्री बनने के इंतज़ार में कई प्रभावशाली विधायक हैं। ऐसे में फेरबदल बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।”
गोपाल भार्गव जैसे नाम इस बार चर्चा में हैं। माना जा रहा है कि सरकार अगले तीन वर्षों को विवादमुक्त रखने के लिए अभी कैबिनेट का पुनर्गठन कर सकती है।
अगले तीन वर्षों का ब्लूप्रिंट तैयार
सरकार आने वाले समय के लिए एक मजबूत ब्लूप्रिंट तैयार कर रही है, जिसमें:
- धीमी रफ्तार वाले विभागों पर फोकस
- चुनावी असर वाली योजनाओं को प्राथमिकता
- जमीनी स्तर की रिपोर्टों पर विशेष ध्यान
वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया के अनुसार:
“2008 से MP में स्कीम-सेंट्रिक पॉलिटिक्स का महत्व बढ़ा है। चुनावी योजनाएँ अक्सर यहीं से शुरू होती हैं।”
कैसे बनी मंत्रियों की ‘मार्कशीट’?
मंत्रियों का मूल्यांकन इन मुख्य बिंदुओं पर हुआ:
- विभागीय परफॉर्मेंस
- योजनाओं की प्रगति
- प्रभार वाले जिलों की शिकायतें
- सांसद/विधायक से समन्वय
- नवाचार और उपलब्धियाँ
बीजेपी प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया के अनुसार, खजुराहो बैठक में कई बड़े फैसले लिए जा रहे हैं, लेकिन फेरबदल पर आधिकारिक बयान अभी बाकी है।
निष्कर्ष — राजनीति गर्म, फैसले करीब
मध्य प्रदेश में कैबिनेट फेरबदल को लेकर राजनीति तेज है।
माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी और यह तय होगा कि कौन मंत्री अपनी जगह बनाए रखेगा और कौन बाहर होगा।

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