बिहार में प्रियंका गांधी की चुनावी शुरुआत

बिहार की सियासत में आज एक बड़ा मोड़ आने वाला है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपनी पहली चुनावी सभा मोतिहारी से शुरू कर रही हैं।

  • यह कदम कांग्रेस के लिए रणनीतिक और ऐतिहासिक दोनों मायनों में महत्वपूर्ण है।
  • मोतिहारी वही धरती है, जहां से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी।
  • कांग्रेस इस प्रतीकात्मक इतिहास का सहारा लेकर भाजपा-जेडीयू के गढ़ को चुनौती देने की तैयारी में है।

प्रियंका गांधी का महिला संवाद

  • इससे पहले प्रियंका गांधी पटना के सदाकत आश्रम में महिलाओं से संवाद करेंगी।
  • कांग्रेस का मानना है कि महिलाओं और युवाओं को साधे बिना बिहार में स्थायी राजनीतिक आधार नहीं बनाया जा सकता।
  • यह अभियान महागठबंधन में पार्टी की स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ स्वतंत्र जनाधार बनाने का भी प्रयास है।

मोतिहारी से चुनावी शुरुआत क्यों?

  • कांग्रेस ने पहले प्रियंका की पहली सभा पूर्णिया से कराने की योजना बनाई थी।
  • रणनीतिक बदलाव करते हुए मोतिहारी को चुना गया, क्योंकि यह धरती स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी है।
  • कांग्रेस चाहती है कि इस प्रतीकात्मक जगह से चुनावी शुरुआत करके जनता से भावनात्मक और ऐतिहासिक जुड़ाव स्थापित किया जाए।

जातीय समीकरणों को साधने की रणनीति

  • मोतिहारी और आसपास के जिलों में यादव, कुर्मी, दलित और मुसलमानों की अच्छी-खासी आबादी है।
  • कांग्रेस प्रियंका गांधी की रैली के जरिए इन समूहों को साधने की कोशिश करेगी।
  • महागठबंधन की राजनीति में ये समूह रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं।
  • प्रियंका का संदेश साफ है—कांग्रेस अब केवल सहयोगी दल नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करेगी।

महिला संवाद पर खास फोकस

  • प्रियंका गांधी सदाकत आश्रम में महिला संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी।
  • यह कांग्रेस की रणनीति का अहम हिस्सा है, क्योंकि सभी दल महिलाओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं।
  • प्रियंका गांधी की छवि मजबूत महिला नेता की है।
  • कांग्रेस इसे महिला सशक्तिकरण और युवाओं के लिए नया संदेश देने के रूप में पेश कर रही है।

भाजपा-जेडीयू के गढ़ में कांग्रेस की चुनौती

  • मोतिहारी लंबे समय से भाजपा-जेडीयू का मजबूत गढ़ माना जाता है।
  • हालांकि कभी यह कांग्रेस और वामपंथियों का प्रभाव क्षेत्र था।
  • प्रियंका गांधी यहां से चुनावी शुरुआत करके साफ संदेश देना चाहती हैं कि कांग्रेस भाजपा के मजबूत किलों को भी चुनौती देने के लिए तैयार है।

कांग्रेस का बदला हुआ अंदाज

  • बिहार की राजनीति में अब तक कांग्रेस महागठबंधन की छोटे साझेदार के रूप में देखी जाती रही।
  • प्रियंका गांधी को सीधे चुनावी मैदान में उतारकर कांग्रेस ने संकेत दे दिया है कि वह सिर्फ सहयोगी दल तक सीमित नहीं रहेगी।
  • यह कदम पार्टी को नए जनाधार और राजनीतिक ऊर्जा देने का प्रयास है।
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