बिजनौर में गुलदार का आतंक, किसानों का विरोध

बिजनौर जिले में इन दिनों गुलदार (तेंदुआ) का आतंक बढ़ता जा रहा है। अब न केवल लोग बल्कि उनके पशु भी सुरक्षित नहीं हैं।
वन विभाग की लगातार लापरवाही से नाराज किसानों ने विरोध का ऐसा अनोखा तरीका अपनाया कि हर कोई दंग रह गया।

किसानों का अनोखा प्रदर्शन

भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के नेता दिगंबर सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों किसान अपने भेड़, बकरियों और गायों को लेकर सीधे डीएफओ (मंडलीय वन अधिकारी) के दफ्तर पहुंचे और उन्हें वहां बांध दिया।
👀 यह नजारा देख लोग हैरान रह गए और मजाक में कहने लगे कि अब शायद डीएफओ ऑफिस ही “भेड़-बकरी” चलाएगा

क्यों फूटा किसानों का गुस्सा?

किसानों का आरोप है कि पिछले 10-15 दिनों में गुलदार के हमले में 5 लोगों की जान चली गई, जिनमें मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
पिछले 8 महीनों में 10 लोगों की मौत हो चुकी है।
किसानों का कहना है कि वन विभाग न तो गुलदार पकड़ रहा है, न ही पीड़ितों के परिवारों से मिल रहा है।
उनका आरोप: अधिकारियों को इंसानों की जान की कोई परवाह नहीं।

धरना और अनोखा प्रदर्शन

किसान पिछले 5 दिनों से डीएफओ ऑफिस के बाहर धरना दे रहे हैं।
इसी दौरान उन्होंने अपने पशुओं को ऑफिस के अंदर बांधकर विरोध जताया।
उनका संदेश साफ है:

“गुलदार पकड़ो, इंसानों की जान बचाओ!”

दिगंबर सिंह का कहना है कि जब वन विभाग पशुओं की सुरक्षा नहीं कर सकता, तो वे उन्हें विभाग के हवाले कर रहे हैं।
किसानों ने चेतावनी दी है कि धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलता।

जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी

किसानों ने न सिर्फ वन विभाग बल्कि स्थानीय सांसद और विधायकों पर भी निशाना साधा।
दिगंबर सिंह ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस-वे के मुद्दे पर भी जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
उनका आरोप: चाहे विपक्ष हो या सरकार, बिजनौर के नेताओं में इतनी क्षमता नहीं कि वे जिले के लिए कोई ठोस कदम उठाएं।

अधिकारियों तक मामला पहुंचा

किसानों ने मुरादाबाद के कमिश्नर को पूरी जानकारी दी, जिन्होंने मुख्य सचिव से भी बात की।
दिगंबर सिंह ने बताया कि लखनऊ तक मामला पहुंच चुका है, और कई अधिकारी बिजनौर में कैंप करेंगे।

आगे क्या होगा?

किसानों ने साफ कर दिया है कि यह प्रदर्शन गुलदार समस्या के समाधान तक नहीं रुकेगा।
यदि जरूरत पड़ी, तो वे आंदोलन को और बड़ा करने की चेतावनी भी दे चुके हैं।

निष्कर्ष

बिजनौर में गुलदार का आतंक केवल एक वन्यजीव समस्या नहीं, बल्कि जन सुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा बन चुका है।
किसानों का यह प्रदर्शन दिखाता है कि स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही कितनी गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है।

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