दूसरों से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन डर उनके सामने आ जाता है

आज के तेज़ रफ्तार और प्रतिस्पर्धी माहौल में आत्मविश्वास को सफलता की पहचान माना जाता है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे मंच पर बोलें, इंटरव्यू में छा जाएं और हर सामाजिक परिस्थिति में सहज रहें। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि कोई बच्चा या युवा जो अक्सर चुप रहता है, बोलने से कतराता है या भीड़ में असहज महसूस करता है — क्या वह सिर्फ शर्मीला है? या फिर वह सोशल एंग्ज़ायटी जैसी मानसिक स्थिति से जूझ रहा है?
सोशल एंग्ज़ायटी क्या होती है?
सोशल एंग्ज़ायटी एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सामाजिक परिस्थितियों में अत्यधिक डर, असहजता और तनाव का अनुभव होता है। यह डर कभी-कभी इतना गहरा होता है कि व्यक्ति सामाजिक परिस्थितियों से पूरी तरह बचने लगता है, चाहे वह स्कूल में सवाल पूछना हो, ऑफिस में प्रेजेंटेशन देना हो या किसी दोस्त की बर्थडे पार्टी में जाना हो।
इसके मुख्य लक्षण:
- अजनबियों से बात करने में घबराहट
- बातचीत के दौरान पसीना, कांपना या दिल तेज़ धड़कना
- “मैंने कुछ गलत तो नहीं कह दिया?” जैसी बार-बार सोच
- पब्लिक एक्टिविटी से दूरी बनाना
- सोशल इवेंट्स से पहले ही घबराहट शुरू हो जाना
- जुड़ने की इच्छा होते हुए भी अकेले रहना पसंद करना
किस उम्र में होती है ज़्यादा?
सोशल एंग्ज़ायटी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन कुछ उम्रें ऐसी हैं जहाँ इसके लक्षण अधिक स्पष्ट होते हैं।
बचपन (7–12 साल)
- स्कूल में सवाल पूछने या बोलने से डर
- ग्रुप एक्टिविटी से कतराना
- ज़रूरत से ज़्यादा माँ-बाप पर निर्भर रहना
- अक्सर इसे “शर्मीला बच्चा” समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है
किशोरावस्था (13–15 साल)
- आत्म-सचेतता बहुत बढ़ जाती है
- लगता है कि सब जज कर रहे हैं
- प्रेजेंटेशन, ग्रुप प्रोजेक्ट या स्टेज पर जाना मुश्किल
- शारीरिक लक्षण: पसीना, पेट दर्द, घबराहट
- सोशल मीडिया पर अपनी छवि को लेकर तनाव
युवा अवस्था (16–25 साल)
- कॉलेज, यूनिवर्सिटी, पहली नौकरी — सभी एक नया दबाव लेकर आते हैं
- इंटरव्यू या मीटिंग के नाम से घबराहट
- खुद को दूसरों से कम समझने की भावना
- सामाजिक रिश्तों और आत्मविश्वास पर असर
6 साल से कम उम्र
- नए लोगों को देखकर चुप हो जाना
- बात करने पर रो पड़ना
- बार-बार माँ-बाप से चिपकना
- संकेत हल्के होते हैं, पर ध्यान देना जरूरी है
शर्मीलापन बनाम सोशल एंग्ज़ायटी
बहुत से लोग सोशल एंग्ज़ायटी को शर्मीले स्वभाव के साथ भ्रमित कर देते हैं। लेकिन यह केवल शर्मीलापन नहीं है।
दोनों में फर्क:
शर्मीलापन | सोशल एंग्ज़ायटी |
---|---|
सामान्य और अस्थायी | मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गहरी स्थिति |
व्यक्ति धीरे-धीरे खुल सकता है | व्यक्ति लगातार डर और असहजता महसूस करता है |
आमतौर पर कार्यों में रुकावट नहीं आती | स्कूल, करियर और रिश्तों में बाधा पहुँच सकती है |
कैसे करें मदद?
अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति इस स्थिति से जूझ रहा है, तो आप कुछ छोटे लेकिन असरदार कदम उठा सकते हैं।
सुझाव:
- उनकी बातों को ध्यान से सुनें, बिना आलोचना किए
- उन्हें धीरे-धीरे सामाजिक परिस्थितियों में शामिल करें
- उनके डर को ‘नाटक’ या ‘कमज़ोरी’ कहकर न टालें
- ज़रूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें
- स्कूल और कॉलेज में मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत शुरू करें
(This article is written by Shreya Bharti , Intern at News World India.)

News World India is India’s Fastest Growing News channel known for its quality programs, authentic news, and reliable breaking news. News World India brings you 24/7 Live Streaming, Headlines, Bulletins, Talk Shows, Infotainment, and much more.
Watch minute-by-minute updates of current affairs and happenings from India and all around the world!