चंपावत में फॉरेस्ट गार्ड ने ली 20 हजार की रिश्वत

उत्तराखंड के चंपावत जिले से भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी खबर सामने आई है।
विजिलेंस टीम ने वन विभाग के दो कर्मचारियों — भुवन चंद भट्ट और दीपक जोशी — को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
दोनों आरोपी जंगल से लकड़ी पास कराने के नाम पर घूस मांग रहे थे।
जैसे ही उन्होंने रिश्वत की रकम ली, विजिलेंस टीम ने मौके पर पहुंचकर उन्हें पकड़ लिया।
इस कार्रवाई से पूरे वन विभाग में खलबली मच गई है।
गौशाला के लिए लकड़ी चाहिए थी, पर वनकर्मियों ने मांगी रिश्वत
यह मामला तब सामने आया जब चंपावत के एक व्यक्ति ने विजिलेंस को शिकायत दी।
शिकायतकर्ता ने बताया कि उसे गौशाला निर्माण के लिए टूटी हुई लकड़ी चाहिए थी,
लेकिन फॉरेस्ट गार्ड ने कहा —
“बिना पैसे लकड़ी पास नहीं होगी।”
पहले ₹40,000 की मांग की गई थी, बाद में ₹20,000 में सौदा तय हुआ।
विजिलेंस ने शिकायत की जांच की और फिर शानदार ट्रैप ऑपरेशन चलाकर
दोनों वनकर्मियों को रंगे हाथों पकड़ लिया।
विजिलेंस की सटीक योजना, 2:10 बजे धर दबोचा
यह कार्रवाई सतर्कता सेक्टर हल्द्वानी की टीम ने की।
टीम ने कई दिनों तक निगरानी रखी, सबूत जुटाए
और फिर 25 अक्टूबर दोपहर करीब 2:10 बजे रिश्वत लेते ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
मौके से बरामद नकदी और अन्य रिकॉर्ड को कब्जे में लेकर
दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
डीएफओ ने तुरंत की कार्रवाई — दोनों गार्ड सस्पेंड
घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया।
डीएफओ आशुतोष सिंह ने दोनों फॉरेस्ट गार्ड को तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspend) कर दिया।
डीएफओ ने सख्त शब्दों में कहा —
“वन विभाग में भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दोषी कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।”
उन्होंने पूरी रिपोर्ट कंज़रवेटर ऑफ फॉरेस्ट को भेज दी है
और विभागीय जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
लकड़ी पास कराने के नाम पर चल रहा था रिश्वत का खेल
प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि दोनों गार्ड
लंबे समय से लकड़ी पास कराने के नाम पर पैसे वसूल रहे थे।
यहां तक कि सामाजिक कार्यों — जैसे गौशाला निर्माण — में भी रिश्वत मांगने से नहीं चूकते थे।
विजिलेंस की कार्रवाई के बाद विभाग ने अब
पूरा नेटवर्क खंगालना शुरू कर दिया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —
“ऐसी घटनाएं विभाग की छवि को धूमिल करती हैं।
अब हर स्तर पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।”
वन विभाग में बढ़ाई जाएगी निगरानी
इस घटना के बाद विभाग ने ‘Zero Tolerance Policy’ अपनाने का फैसला लिया है।
सभी कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है कि
यदि कोई रिश्वत या अवैध वसूली में पकड़ा गया तो उसे तुरंत बर्खास्त किया जाएगा।
डीएफओ ने बताया कि अब से
सभी फील्ड कर्मचारियों की गतिविधियों की डिजिटल मॉनिटरिंग की जाएगी,
ताकि ऐसे मामलों को जड़ से खत्म किया जा सके।
मामला पहुंचा सरकार तक, सख्त रुख अपनाया गया
यह रिश्वत कांड अब राज्य मुख्यालय तक पहुंच चुका है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, शासन ने इस मामले पर कड़ी नाराजगी जताई है।
सरकार का संदेश स्पष्ट है —
“भ्रष्टाचार में शामिल कोई भी कर्मचारी नहीं बचेगा, चाहे वह किसी भी पद पर हो।”
विजिलेंस विभाग ने भी साफ किया है कि
आने वाले समय में ऐसे ट्रैप ऑपरेशनों को और तेज़ी से चलाया जाएगा।
विजिलेंस की कार्रवाई — भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार
यह सिर्फ एक ट्रैप केस नहीं, बल्कि
प्रदेश में ईमानदारी की नई मिसाल है।
जनता का कहना है कि अगर इसी तरह विजिलेंस सक्रिय रही,
तो सरकारी सिस्टम में विश्वास और पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगे।
“अब रिश्वतखोरी की जगह जेल होगी।”
यह कार्रवाई साफ संदेश देती है —
ईमानदारी ही अब नौकरी बचाने का रास्ता है।

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