गिर्धारी यादव के बयान से विपक्ष को मिला बल

बांका से जेडीयू सांसद गिर्धारी यादव ने चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने संसद परिसर में इसे “तुगलकी फरमान” करार दिया और कहा कि यह प्रक्रिया बिहार की सामाजिक और भौगोलिक वास्तविकताओं से पूरी तरह अनभिज्ञ है।

जेडीयू ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

गिर्धारी यादव के बयान को लेकर जेडीयू नेतृत्व ने सख्त रुख अपनाया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा है।

नोटिस में कहा गया है कि:

“आपका बयान पार्टी की घोषित नीति के विरुद्ध है और इसे अनुशासनहीनता माना जा रहा है।”

साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि SIR प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अंतर्गत है, इसलिए इस पर सार्वजनिक टिप्पणी अनुचित है।

विपक्ष को मिला अनजाने में समर्थन?

नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया है कि:

विपक्षी दल जानबूझकर ईवीएम और चुनाव आयोग की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं, और ऐसे में गिर्धारी यादव का बयान, भले ही अनजाने में दिया गया हो, उनके आरोपों को बल प्रदान करता है। जेडीयू का कहना है कि पार्टी हमेशा से चुनाव आयोग की निष्पक्षता और ईवीएम की विश्वसनीयता में पूर्ण विश्वास करती रही है, और ऐसे बयानों से उस विश्वास पर सवाल खड़े होते हैं।

15 दिन में जवाब, नहीं तो कार्रवाई

पार्टी ने यादव को 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।
यदि वे ऐसा नहीं करते, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

गिर्धारी यादव की सफाई: “सच कहना गुनाह है क्या?”

गिर्धारी यादव ने अपने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“मैं पार्टी के साथ हूं, लेकिन एक सांसद होने के नाते मेरे कुछ व्यक्तिगत विचार भी हो सकते हैं। अगर सच बोलना गुनाह है, तो फिर सांसद होने का क्या मतलब?”

बिहार में SIR को लेकर सियासी घमासान

बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है।

  • विपक्ष इसे मतदाता वंचना (Voter Suppression) बता रहा है।
  • वहीं एनडीए का कहना है कि यह मतदाता सूची की शुद्धिकरण प्रक्रिया है।

इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर विवाद और बयानबाज़ी के केंद्र में ला दिया है।

(This article is written by Shlok Devgan , Intern at News World India.)

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