गाजियाबाद में अपराधी का अंत

ये अल्फ़ाज़ उसी बदमाश के हैं, जो कल तक दिल्ली-एनसीआर में खौफ़ का दूसरा नाम था।
महिलाएँ उसके लिए आसान शिकार थीं, लेकिन आज वही अपराधी पुलिस की सख़्ती के आगे रहम की भीख मांग रहा है।

अपराध का साम्राज्य और योगी का फरमान

गाजियाबाद की सड़कों पर जब-जब स्नैचिंग की वारदातें होतीं, लोग डर के साए में जीने को मजबूर हो जाते।
लेकिन योगी सरकार का फरमान कानून का अंतिम शब्द बन गया—

“अपराधी या तो जेल जाएगा, या पुलिस की गोली से मरेगा।”

यह आदेश अब पुलिस जवानों के खून में दौड़ता जोश है।

मुठभेड़ का दृश्य – मौत और कानून आमने-सामने

  • थाना इंदिरापुरम पुलिस ने जैसे ही उस शातिर स्नैचर को घेरा, उसने भागने की कोशिश की।
  • जवाब में गोलियाँ चलीं और एक गोली उसके पैर को चीरती हुई निकली।
  • कुछ ही पल में “अपराध का किंग” ज़मीन पर लहूलुहान पड़ा था।

उसकी आँखों में डर था, शब्द कांप रहे थे—
“अब अपराध छोड़ दूंगा… मुझे बख़्श दो…”

यही वाक्य उसके अपराधी साम्राज्य की अंतिम सांस साबित हुए।

पुलिस का सख़्त संदेश

गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस ने साफ़ कर दिया है—

  • अब न कोई स्नैचर सड़कों पर वारदात करेगा।
  • न कोई महिला डर के साये में चलेगी।
  • अपराधियों का हर रास्ता अब जेल की सलाखों या कब्रगाह की ओर जाएगा।

जनता का भरोसा – अपराध का अंत

यह मुठभेड़ सिर्फ एक पुलिस कार्रवाई नहीं, बल्कि गाजियाबाद की जनता के लिए भरोसे का दीपक है।
अब लोग जानते हैं कि—

“पुलिस के कदमों की आहट ही अपराधियों की आख़िरी चेतावनी है।”

गाजियाबाद की धरती पर एक बार फिर कानून ने अपना झंडा गाड़ दिया है और अपराधियों को उनका भविष्य दिखा दिया है—
या तो जेल, या फिर पुलिस की गोली।

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