क्यों 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डिप्रेशन हो रहा है

18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डिप्रेशन का असर विभिन्न कारकों के चलते एक गंभीर चिंता का विषय है

1. जैविक संवेदनशीलता (Biological Vulnerability):
कुछ बच्चों में आनुवंशिक रूप से अवसाद के प्रति संवेदनशीलता होती है, यानी उनकी विरासत में मिले गुणों के कारण उन्हें यह स्थिति ज़्यादा प्रभावित कर सकती है। यह आनुवंशिक पूर्वाग्रह पर्यावरणीय कारकों के साथ मिलकर अवसाद को उत्प्रेरित कर सकता है।

2. पर्यावरणीय तनाव (Environmental Stressors):
बच्चों को कई तरह के तनाव सामना करना पड़ता है—जैसे पढ़ाई का दबाव, सहपाठियों के साथ संघर्ष, पारिवारिक समस्याएं या आघातजनक अनुभव। ये तनाव उनकी सामना करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और अवसाद की संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं।

3. सोशल मीडिया और साइबर-बुलिंग (Social Media and Cyberbullying):
सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग बच्चों को साइबर बुलिंग, अनुचित सामाजिक तुलना और अवास्तविक अपेक्षाओं के संपर्क में लाता है, जिससे उनकी मानसिक सेहत प्रभावित होकर डिप्रेसिव लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

4. कलंक और जागरूकता की कमी (Stigma and Lack of Awareness):
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में फैला कलंक (स्टिग्मा) बच्चों को मदद लेने से रोक सकता है, जबकि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों को पहचानने और उनके उपचार की जानकारी की कमी उन्हें देर से सहायता पाने पर मजबूर कर सकती है।

5. शैक्षिक दबाव (Academic Pressure):
पाठ्यक्रम में उच्च उम्मीदें और तीव्र प्रतिस्पर्धा बच्चों पर गहरा तनाव डाल सकती हैं, जिससे डिप्रेशन विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

6. कारकों का आपसी प्रभाव (Interaction of Factors):
ये सभी कारक अक्सर एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी बच्चे में आनुवंशिक रूप से डिप्रेशन की प्रवृत्ति है, तो वह सोशल मीडिया या शैक्षिक दबाव के नकारात्मक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील साबित हो सकता है।

(This article is written by Priyanshu Mathur, Intern at News World India.)

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