कुपोषण बच्चों की वृद्धि और विकास को कैसे प्रभावित करता है?

बचपन में कुपोषण: एक चुपचाप बढ़ता खतरा

कुपोषण सिर्फ भूखा रहना नहीं है—यह ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी है, जो बच्चों के शरीर और दिमाग को गहराई से प्रभावित करती है। इसका असर न सिर्फ उनके आज पर, बल्कि भविष्य पर भी पड़ता है।

कुपोषण से बच्चों पर पड़ने वाले मुख्य प्रभाव

1. लंबाई में रुकावट (Stunted Growth)
शरीर को सही पोषण न मिलने से बच्चे अपनी उम्र के मुताबिक नहीं बढ़ते। उनका कद छोटा रह जाता है और शारीरिक विकास धीमा हो जाता है।

2. दिमागी विकास में देरी
आयरन और आयोडीन जैसे पोषक तत्वों की कमी मस्तिष्क के विकास को रोकती है, जिससे बच्चा धीरे सीखता है और उसकी बुद्धिमत्ता प्रभावित होती है।

3. कमजोर इम्यून सिस्टम
कुपोषित बच्चे जल्दी बीमार होते हैं और ठीक होने में ज़्यादा समय लेते हैं। उनका शरीर संक्रमण से लड़ने में कमजोर होता है।

4. शारीरिक क्रियाओं में बाधा (Motor Skills)
कुपोषण बच्चों की चलने, पकड़ने, कूदने जैसी सामान्य शारीरिक गतिविधियों पर असर डालता है।

5. सामाजिक और मानसिक विकास में रुकावट
ऐसे बच्चे बोलने, खेलने और दूसरों से बातचीत करने में पीछे रह जाते हैं।

6. पढ़ाई पर असर
कुपोषित बच्चों को थकान जल्दी होती है, ध्यान कम लगता है और स्कूल में प्रदर्शन कमजोर हो जाता है।

7. भविष्य की बीमारियों का खतरा
बचपन में पोषण की कमी से आगे चलकर डायबिटीज़, हार्ट डिजीज़ और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

इससे कैसे निपटें? – समाधान जो असर करें

1. स्तनपान को बढ़ावा दें
जन्म के बाद पहले 6 महीने तक केवल माँ का दूध देना सबसे जरूरी है—यही पहला और सबसे मजबूत पोषण है।

2. पौष्टिक आहार की पहुंच बढ़ाएं
हर घर तक सस्ता और पोषणयुक्त खाना पहुँचाने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा।

3. जरूरी विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स दें
खासकर गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए आदि की नियमित खुराक मिलनी चाहिए।

4. पोषण और साफ-सफाई की शिक्षा दें
लोगों को समझाएं कि संतुलित आहार, साफ पानी और स्वच्छता कैसे बच्चों को स्वस्थ रखती है।

5. फोर्टिफाइड फूड अपनाएं
आटे, नमक, तेल आदि में ज़रूरी पोषक तत्व मिलाकर उन्हें पोषणयुक्त बनाया जाए।

6. स्वास्थ्य सेवाएं पोषण से जोड़ें
टीकाकरण, नियमित चेकअप और पोषण कार्यक्रम साथ चलें, ताकि समग्र देखभाल हो सके।

7. समुदाय को जोड़ें
स्थानीय लोगों की भागीदारी से योजनाएं ज़्यादा असरदार बनती हैं—उन्हें इस बदलाव का हिस्सा बनाना ज़रूरी है।

8. माँ और बच्चे की देखभाल
गर्भावस्था से लेकर बच्चे के शुरुआती वर्षों तक अच्छी देखभाल कुपोषण को जड़ से रोक सकती है।

9. रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा दें
बेहतर खेती, नई तकनीक और किफायती पोषण उत्पादों पर शोध जरूरी है।

10. नीति और जागरूकता साथ चलें
पोषण सुधार की नीतियों को ज़मीन पर उतारना और लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करना ज़रूरी है।

( This article is written by Shreya Bharti, Intern at News World India.)

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