उत्तराखंड स्नातक भर्ती परीक्षा पेपर लीक

उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होना युवाओं के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है।
इस मामले ने जहां अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है, वहीं सरकार ने भी अब कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।

अधिकारी निलंबित

हरिद्वार जिले के ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA) के परियोजना निदेशक के. एन. तिवारी को निलंबित कर दिया गया है।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने मंगलवार देर रात आदेश जारी किए।

कैसे हुआ पेपर लीक?

  • 21 सितंबर को UKSSSC ने स्नातक स्तरीय परीक्षा आयोजित की थी।
  • परीक्षा शुरू होने के सिर्फ आधे घंटे बाद ही प्रश्न पत्र के तीन पेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
  • जांच में पाया गया कि लीक हरिद्वार जिले के एक परीक्षा केंद्र से हुआ।
  • आयोग ने रिपोर्ट में साफ कहा कि निगरानी की जिम्मेदारी जिले के अधिकारियों की थी, लेकिन गंभीर चूक हुई।

इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने के. एन. तिवारी को जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया

गिरफ्तारी और SIT जांच

  • पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए खालिद नामक आरोपी को गिरफ्तार किया।
  • खालिद पर आरोप है कि उसने ही प्रश्न पत्र के पेज बाहर भेजे।
  • सरकार ने मामले की गहराई से जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) बनाई है।
  • SIT को निर्देश है कि अंदरूनी कर्मचारी हों या बाहरी एजेंट – सभी को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाए।

युवाओं का गुस्सा

पेपर लीक की खबर फैलते ही बेरोज़गार उम्मीदवार सड़कों पर उतर आए

  • देहरादून और अन्य जिलों में प्रदर्शन हुए।
  • युवाओं ने कहा कि बार-बार हो रहे पेपर लीक से उनकी मेहनत और सपनों पर पानी फिर रहा है।
  • बेरोज़गार संघ ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों को सख्त सज़ा नहीं मिली तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

सरकार का संदेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही साफ कर चुके हैं कि

“पेपर लीक में शामिल किसी को बख्शा नहीं जाएगा।”

राज्य में पहले से ही नकल और भ्रष्टाचार विरोधी कड़े कानून हैं।
निलंबन की कार्रवाई सरकार का यह संकेत है कि अफसर भी जवाबदेह होंगे

आगे की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना राज्य की भर्ती परीक्षाओं पर भरोसा कमजोर कर सकती है।
सरकार अब परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए नए दिशा-निर्देश तैयार कर रही है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड पेपर लीक कांड सिर्फ एक परीक्षा की साख पर नहीं, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल है।
परियोजना निदेशक का निलंबन दिखाता है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
अब सबकी नजरें SIT की रिपोर्ट और आगे होने वाली गिरफ्तारियों पर टिकी हैं।

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